उत्तराखंड कांग्रेस के ‘संकटमोचक’ साबित हो सकते हैं..
एक चेहरा जिस पर पूरी देव भूमि को भरोसा है.. एक युवा जिसमें नेतृत्व की क्षमता है.. एक नेता जो पहाड़वासियों के सपनों की संजीवनी है… गणेश गोदियाल सिर्फ और सिर्फ एक ऐसे नेता हैं जो प्रदेश के लोगों की उम्मीद हैं… उत्तराखंड के लोग उनको अपना तारणहार मानते हैं.. दरअसल इस वक्त कांग्रेस राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर बेहद ही बुरे दौर से गुजर रही है.. पार्टी को जरूरत है एक ऐसे संकटमोचक की जो मुश्किल दौर से कांग्रेस को बाहर निकाल सके.. वो संकटमोचक कोई और नहीं बल्कि गणेश गोदियाल साबित हो सकते हैं.. 2022 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे ठीक पहले अगर पार्टी की कमान इस जोशीले नेता के कंधों पर आ जाए..तो पहाड़ फिर से कांग्रेस के हाथ आ सकता है.. ऐसा दावा इसलिए है क्योंकि गणेश गोदियाल को जब भी, जो भी जिम्मेदारी दी गई.. उन्होंने उसे बखूबी पूरा किया..हाल ही में श्रीनगर में नगरपालिका चुनाव की जिम्मेदारी उन्होंने अपने हाथों में ली और कांग्रेस को जीत का तोहफा दिया.. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि गणेश गोदियाल को यहां लोग अपने बेटे जैसा मानते हैं.. पहाड़ का ये लाल भी अपनी मीठी बोली से हर किसी को अपना कायल बना लेता है.. खैर, श्रीनगर में मिली जीत से हार के दौर से गुजर रही कांग्रेस को गणेश गोदियाल ने संजीवनी दे दी.. हताश कांग्रेस कार्यकर्ताओं में इस जीत से नई उर्जा का संचार हुआ.. एक मात्र ये ही उदाहरण नहीं है..
जो राठ के लाल को बेहतरीन नेता साबित करता है.. ऐसी और भी कई मिसाल हैं.. बात 2002 की है, गणेश गोदियाल पहली बार थेलीशैण विधानसभा से चुनाव मैदान में उतरे.. ये सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती थी.. रमेश पोखरियाल निशंक कांग्रेस के शिवानंद नौटियाल को हारकर यहां से विधानसभा में गए थे.. बावजूद इसके गणेश गोदियाल ने इस सीट पर कब्जा किया और बीजेपी का किला ढहा दिया.. इसके बाद 2012 में भी जीत का परचम लहराया.. पार्टी के कद्दावर नेता होने के बावजूद गणेश गोदियाल में अहम नाम की चीज नहीं है.. वो लगातार अपने क्षेत्र में जाते हैं.. लोगों की दिक्कतों को सुनते हैं और उनको दूर करते हैं.. इस लोकसभा चुनाव में भी अगर कांग्रेस उनको पौड़ी सीट से टिकट देती तो निश्चित तौर पर गणेश गोदियाल अपनी सीट निकालने में कामयाब हो जाते.. ऐसा कुछ पत्रकारों के सर्वे में भी दावा किया जा रहा था.. लेकिन कांग्रेस ने यहां पर बड़ी गलती की.. पैराशूट उम्मीदवार मनीष खंडूरी पर गोदियाल से ज्यादा भरोसा जताया.. नतीजा सबके सामने है.. बावजूद इसके गणेश गोदियाल पार्टी की सेवा में निरंतर जुटे रहे.. 2015 की बात है जब हरीश रावत सरकार संकट में थी.. विजय बहुगुणा.. हरक सिंह रावत जैसे दिग्गज नेता पार्टी छोड़कर चले गए और सरकार गिराने की कोशिश हुई.. कई कांग्रेस विधायकों के ईमान डोले लेकिन गणेश गोदियाल टस से मस नहीं हुए वो हरीश रावत के साथ मजबूती से डटे रहे.. और सरकार पर आया संकट टल गया.. गणेश गोदियाल कई साल से लोगों की सेवा कर रहे हैं.. साथ ही उनकी संगठन में भी मजबूत पकड़ है.. इसलिए अब कांग्रेस के पास गणेश गोदियाल पर भरोसा करने का एक और मौका है.. ऐसा नहीं है कि प्रदेशवासी ही उनसे प्यार करते हैं.. बल्कि कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत भी उनको कमान सौंपने की वकालत कर चुके हैं… साफ है अगर आलाकमान गणेश गदियाल पर भरोसा करता है तो राज्य में कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन हासिल कर सकती है…