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खेत में ही नष्ट करनी पड़ रही मटर की फसल

देहरादून। नोटबंदी की मार से उत्तराखंड में लघु एवं मध्यम उद्योग ही बेहाल नहीं हैं, बल्कि खेती किसानी भी चौपट हुई जा रही है। उधमसिंहनगर जिले के तहत गोपालपुर में फसल के उचित दाम नहीं मिलने के कारण एक किसान प्रीतम सिंह ने अपनी 10 एकड़ रकबे में मटर की तैयार खडी फसल पर ट्रेक्टर फेर दिया। खरीरदार नहीं होने के कारण अन्य किसान भी फसलें मंडियों में ले जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।

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उत्तराखंड के निचले क्षेत्रों में इन दिनों मटर की फसल तैयार है, लेकिन नोटबंदी के चलते इस साल बाहरी राज्यों से व्यापारी खरीददारी करने नहीं पहुंचे। परिणाम स्वरूप मंडी में इस समय मटर मात्र चार- पांच रुपये प्रति किलो में बिक रही है, जिससे फसल की लागत भी नहीं निकल पा रही है। क्षेत्र में यही हाल अन्य फसलों का भी हैं, जिस कारण किसान बहुत परेशान हैं।

गदरपुर क्षेत्र के गोपालनगर में किसान प्रीतम सिंह का 10 एकड़ का खेत है, जिसमें उसकी मटर की फसल तैयार खडी थी। लेकिन मंडी में मटर के दाम इतने नीचे आ गए हैं कि उन्हें फसल को नष्ट करना ही उचित लगा।

प्रीतम सिंह ने मीडिया को बताया कि एक एकड़ रकबे में मटर की खेती के लिए करीब 30- 35 हजार रुपये की लागत आती है, लेकिन यहां मंडी में तो मटर चार- पांच रुपये प्रति किलो में बिक रही है। इससे तो मटर की तुड़ाई और ढुलाई का खर्चा भी निकल पाना मुश्किल लग रहा था। इसीलिए उन्हें मजबूरन मटर की तैयार फसल खेत में ही ट्रेक्टर से तहस नहस करनी पड़ी।

 

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एचएनपी सर्विस

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