हरिद्वार। तथाकथित साधु संतों के अनैतिक कृत्यों की लगातार बढ़ती खबरों से हरिद्वार में साधु समाज बहुत आहत है। आसाराम प्रकरण ने तो संतों को उद्वेलित
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास कहते हैं- सब कुछ बिखरता लग रहा है, किंतु बचाया जा सकता है। देशभर के साधु-संतों को एक मंच पर लाकर चिंतन किया जाएगा। इस संबंध में अखाड़ों की एक महत्वपूर्ण बैठक अतिशीघ्र अयोध्या अथवा हरिद्वार में बुलाई जाएगी। उन संतों को चिन्हित किया जाएगा, जिनके कारण संत परम्परा बर्बाद हो रही है। उन्होंने कहा कि संत जगत भोग विलास में लिप्त ढोंगी संतों को बहिष्कृत करेगा। साधुओं के लिए एक नई आचार संहिता का निर्माण भी किया जाएगा।
योगगुरू स्वामी रामदेव कहते हैं कि सत्ताधीशों में धन की हवस जाग गई, जिसका असर समूचे समाज पर पड़ा। संत जगत भी इससे बचा नहीं रह पाया। ऐसा नहीं है कि सब कुछ समाप्त हो गया है, कुछ ही लोग हैं जो लीक से हटे हैं। संत जगत के वरिष्ठ आचार्यों को मिल बैठ कर हल खोजना होगा, जिससे परंपराओं और मर्यादाओं का संरक्षण किया जा सके। आज जो हो रहा है, वह निश्चय ही चिंता का विषय है।
शारदा पीठाधीश्वर स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज का कहना है कि धर्म जगत ने सदैव ही समाज को दिशा प्रदान की है। आज ऐसा लगता है जैसे समूचा समाज पतन के कगार पर आ गया हो। बलात्कार उस हवस का परिणाम हैं, जो भौतिक होते मानव ने ग्रहण की है। आज नैतिक शिक्षा कहीं नहीं रही। यदि अब भी न जागे तो बहुत देर हो जाएगी।