देहरादून। उत्तराखंड में भीषण प्राकृतिक आपदा के दौरान तबाह हुए गांवों को गोद लेने के लिए बढ़चढ़ का दावा करने वाले राज्य अब पीछे हट गए हैं। एकमात्र
प्राकृतिक आपदा के दौरान गत जुलाई माह में हरियाणा ने बीस, पंजाब ने पांच, मध्य प्रदेश ने दस और राजस्थान ने एक दर्जन प्रभावित गांवों को गोद लेने की घोषणा की थी। संबंधित राज्यों के नेताओं ने यह घोषणाएं कर खूब प्रचार भी बटोरा। कई दिनों तक अखबारों और इलैक्ट्रानिक मीडिया में नेता बढ़चढ़ कर बयानबाजी करते रहे और लोगों की वाहवाही लूटते रहे, लेकिन अब कोई भी आगे आने को तैयार नहीं है।
उत्तराखंड सरकार की ओर से संबंधित राज्यों से गांव गोद लेने के संबंध में बार-बार पत्र भेजे जा रहे हैं, लेकिन कहीं से भी इसका जवाब तक नहीं आ रहा।
अभी तक मात्र गोवा ने ही कुछ गांवों को गोद लेने की पहल की है। माना जा रहा है कि इस पहल के पीछे उत्तराखंड राजस्व परिषद के चेयरमैन सुनील कुमार मट्टू और गोवा के राज्यपाल के बीच पुराने संबंध भी हैं। सुनील कुमार मट्टू ने राज्यपाल से बात की और दूसरा बड़ा रोल गोवा राज्यपाल के सचिव नीरज सेमवाल का भी रहा। वैसे तो सेमवाल यूटी कैडर के आईएएस है, लेकिन वे मूलत: उत्तराखंड के रहने वाले हैं। इसलिए गांव गोद लेने के मामले में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही । सेमवाल उत्तराखंड में गोवा सरकार के नोडल अफसर भी है।