देहरादून (नैनीताल)। हमारे सांसद, मंत्री व विधायक जब कभी फुर्सत पाकर अपने क्षेत्रों के दौरे पर आते हैं तो ग्रामीणों की उम्मीदें परवान चढ़ जाती हैं। लोग दिल
अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ के सांसद प्रदीप टम्टा भी हाल ही में जब खुमाड़ में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे तो पहाड़ के भोले भाले लोगों ने उन्हें घेर लिया और अपनी व क्षेत्र की समस्याओं को लेकर उन्हें ढेर सारे ज्ञापन सौंपे। ग्रामीणों को भरोसा था कि उनके नेता दिल्ली जाकर उन्हें भूल नहीं जाएंगे, बल्कि उनकी समस्याओं का अवश्य समाधान करेंगे। लेकिन बाद में जब उन्हें पता चला कि सांसद तो उनके दिए ज्ञापनों के पुलिंदे को वहीं सड़क के किनारे पटक कर लौट गए हैं तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। क्षेत्र में इस मुद्दे पर अब राजनीति शुरू हो गई है। सांसद प्रदीप टम्टा ने भी स्थिति को भांपते हुए तुरंत लीपापोती के लिए इस पुलिंदे की गुमशुदगी को लेकर रिपोर्ट थाने में दर्ज करा दी और अब वे लोगों को सफाई देते फिर रहे हैं।
सांसद प्रदीप टम्टा के इस दौरे के दौरान क्षेत्र के लोगों ने उन्हें सात दर्जन से अधिक ज्ञापन सौंपे थे। सांसद सल्ट से रामनगर होते हुए दिल्ली रवाना हो गए। बाद में ज्ञापनों का यह पुलिंदा लोगों को रानीखेत रोड पर एक किनारे पड़ा मिला। टैक्सी स्टैंड पर जब कुछ लोग बड़े चाव से इन ज्ञापनों को पढ़ रहे थे तो मीडिया कर्मियों की नजर उन पर पड़ी। ज्ञापनों का पुलिंदा मीडिया कर्मियों के हाथ लगते ही क्षेत्र में खबर आग की तरह फैल गई। कुछ कार्यकर्ताओं ने फोन पर इसकी खबर तुरंत सांसद तक भी पहुंचा दी, जिस पर टम्टा तुरंत हरकत में आए और उन्होंने आननफानन में कागजात गुम हो जाने की रिपोर्ट थाने में दर्ज करा दी। जिस टैक्सी चालक ने सांसद को रेलवे स्टेशन छोड़ा था, पुलिस ने उससे भी पूछताछ की और फिर उसे छोड़ दिया।
सड़क पर बिखरे मिले ज्ञापनों में अधिकतर लोगों ने सांसद से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। मसलन मिझौली गांव की नीमा देवी ने अपना दर्द बयां किया है कि पति की मौत के बाद दो अबोध बच्चों और वृद्ध सास-ससुर का भरण-पोषण करने में वह असमर्थ है। तल्ली पोखरी देवायल के गंगा राम, गांव देवीखाल के सुरेश चंद्र, सकरखोल के भगोत सिंह, मोहर खेत के गोविंद सिंह, ड्योना के भूर सिंह, सिरस्वाडी के शिव सिंह, घचोट के हीरा सिंह और ग्राम सिरगाड के जसवंत सिंह ने अपनी खस्ता माली हालत का जिक्र करते हुए आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। इसके अलावा गांव में सीसी मार्ग, मंदिर निर्माण, मंदिर के सौंदर्यीकरण, भंडारखेला इंटर कॉलेज के प्रांतीयकरण, ग्राम डढरिया में बारात घर का निर्माण करने, झडगांव में पेयजल की किल्लत से निजात दिलाने आदि की मांगें की गई हैं। लेकिन अफसोस, पहाड़ का दर्द बयां करते ये कागज दिल्ली दरबार तक नहीं पहुंच पाए। ज्ञापनों में ग्राम प्रधान व बीडीसी सदस्यों के अलावा उनके कांग्रेस कार्यकर्ताओं के भी नाम हैं।
इस घटना ने जहां सांसद टम्टा की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, वहीं लोगों में भी उनके प्रति भारी नाराजगी है। हालांकि टम्टा अपनी सफाई में कह रहे हैं कि ये कागज वास्तव में उनसे गुम हुए हैं, उन्होंने फैंके नहीं है। प्रदीप टम्टा ने एक बयान में कहा है, ”जिस टैक्सी से मैं सल्ट से रामनगर आया था, उससे मेरा वह बैग छूट गया, जिसमें लोगों के ज्ञापन थे। ट्रेन पर चढ़ते समय टैक्सी चालक ने कहा कि सारा सामान रख दिया गया है, जिससे मैं आश्वस्त हो गया। दिल्ली जाकर जब मुझे सामान नहीं मिलने की जानकारी हुई तो मैंने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी। मैं हमेशा अपने क्षेत्र की समस्याओं के प्रति गंभीर रहा हूं। एक जिम्मेदार पद पर रहकर मैं ऐसी गलती कभी नहीं करता। चालक के आश्वस्त करने से ही यह चूक हो गई।”
कांग्रेस सांसद को दिए ज्ञापन सड़क पर बिखरे मिले
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