हिमाचल प्रदेश में नेतृत्व को लेकर कांग्रेस के वीरभद्र सिंह और कौल सिंह धड़े मुखरता से आमने-सामने खड़े हो गए हैं। एक-दूसरे के खिलाफ तल्ख बयानबाजी और शक्ति प्रदर्शनों का दौर चल रहा है। केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह दबाव बना रहे हैं कि हाई कमान विधानसभा चुनाव से पूर्व ही उन्हें भावी मुख्यमंत्री घोषित कर दे, जबकि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर चाहते हैं कि उत्तराखंड की तर्ज पर मुख्यमंत्री चुनाव के बाद ही तय होना चाहिए।
मंगलवार को शिमला और पालमपुर में दोनों धड़ों ने अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित कर शक्ति प्रदर्शन किया, जिसमें वीरभद्र सिंह उन्नीस साबित हुए। वीरभद्र सिंह के शिमला में आयोजित कार्यक्रम में कुल 23 में से 14 विधायकों ने हाजरी लगाई, जबकि पालमपुर में केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा के समारोह में कौल सिंह ठाकुर सहित 6 विधायक ही उपस्थित थे। पार्टी के अलग-अलग आयोजित कार्यक्रमों के बारे में पूछने पर वीरभद्र सिंह का कहना था कि उनका कार्यक्रम आनंद शर्मा के समारोह से पहले बन गया था। हालांकि पालमपुर का कार्यक्रम सरकारी था।
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वीरभद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि मुख्यमंत्री का उम्मीदवार विधानसभा चुनाव से पहले घोषित होना चाहिए ताकि लोगों को पता चल सके कि कौन मुख्यमंत्री बनने वाला है। उन्होंने कहा कि पंजाब में यह घोषणा देरी से होने के कारण पार्टी को इसका लाभ नहीं मिल सका। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के उम्मीदवार की घोषणा का विरोध करना कौल सिंह ठाकुर की निजी राय है। उन्होंने कहा कि धूमल सरकार के खिलाफ ‘कांग्रेस चार्जशीट’जारी होने में देरी हो रही है। न जाने अब इससे पार्टी को कितना लाभ मिल पाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को आपसी रंजिश के चलते पार्टी से बाहर कर दिया गया है। ऐसे लोगों को पार्टी की जरूरत है और उन्होंने यह मुद्दा पार्टी हाई कमान से भी उठाया है।
वीरभद्र सिंह के कार्यक्रम में विधायक सुजान सिंह पठानिया, योगराज, नंद लाल, सुरेंद्र भारद्वाज, सुधीर शर्मा, सुभाष मंगलेट, सोहनलाल, निखिल राजौर, नीरज भारती, प्रकाश चौधरी, कुलदीप सिंह पठानिया, मुकेश अग्निहोत्री, गंगूराम मुसाफिर और हर्षवर्धन चौहान मौजूद रहे। इसके अलावा वहां पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर, सत्य प्रकाश ठाकुर, चंद्र कुमार, हर्ष महाजन, केहर सिंह खाची, ईश्वर दास छौहारू, रामदास मलांगड़, आदर्श सूद, टेक चंद, संजय रतन, जगजीवन पाल, तिलकराज, सुरेंद्र काकू, बीरूराम किशोर,
रघुवीर सिंह, मस्तराम, मिलखीराम गोमा, जगदीश सिपहिया, बंबर ठाकुर और हरदीप बाबा आदि वरिष्ठ कांग्रेसी भी मौजूद थे।
वीरभद्र सिंह के कार्यक्रम में आगामी शिमला नगर निगम और विधानसभा चुनावों को लेकर विचार विमर्श हुआ। मीडिया से बातचीत करते हुए वीरभद्र सिंह ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार भूमि के अवैध खरीद फरोख्त के धंधे में व्यस्त है तथा इसमें मुख्यमंत्री प्रो प्रेम कुमार धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर और अरुण सिंह भी शामिल हैं। इसके लिए उन्होंने जनवरी 2008 में धर्मशाला के कजलोट में हुए भूमि के एक विवादित सौदे के दस्तावेज भी पत्रकारों को दिखाए।
उधर, केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा के कार्यक्रम में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर, विधायकगण जीएस बाली, राकेश कालिया, सुखविंद्र सुक्खू, राजेश धर्माणी, और लखविंद्र राणा ने हाजरी लगाई। इसके अतिरिक्त पूर्व विधायक बृज बिहारी बुटेल, ओपी रत्न, पूर्व मंत्री आशा कुमारी, पार्टी प्रवक्ता कुलदीप राठौर, पूर्व सांसद विप्लव ठाकुर, संजय राणा, कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के युकां अध्यक्ष आशीश पटेल, रघुवीर सिंह बाली, जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुमन वर्मा, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष कर्म शर्मा, राजगीर के युकां अध्यक्ष यादवेंद्र गोमा आदि मौजूद थे।
कौल सिंह ने पालमपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस ने भाजपा सरकार के खिलाफ आरोपपत्र तैयार कर लिया है, जिसे जल्द ही राज्यपाल को सौंपा जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार प्रदेश में भूमि और प्रोजेक्टों को बेचने में लगी है। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण किया जा रहा है, जिससे आम गरीब जनता हाशिए पर चली गई है।