नई दिल्ली। भाजपा के ‘लौह पुरुष’ लालकृष्ण आडवाणी को नजरंदाज करते हुए पार्टी ने अंततः नरेंद्र मोदी को वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए
नरेंद्र मोदी की ताजपोशी के बाद राजनाथ सिंह ने जानकारी दी कि नरेंद्र मोदी लाल कृष्ण आडवाणी से मिलने उनके घर जाएंगे। नरेंद्र मोदी की इस ताजपोशी को लेकर पार्टी में उभरे विरोध के स्वरों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत के दबाव से शांत कर दिया गया था और अंततः उन सभी नेताओं को मोदी के नाम पर सहमत हो जाना पड़ा जो मोदी के ख़िलाफ़ थे। लेकिन पूरी पार्टी और संघ के वरिष्ठ नेता भी मिलकर भी आडवाणी को नहीं मना सके।
इस घोषणा के साथ भाजपा से स्पष्ट कर दिया है कि वह 2014 के चुनावों में एक बार फिर हिंदुत्व के एजेंडे के साथ मैदान में उतरना चाहती है और इसके लिए वह 2002 के गुजरात दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी पर लगाए जाने वाले आरोपों को अनदेखा भी कर सकती है।
दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दबाव और पार्टी कार्यकर्ताओं की डिमांड लंबे समय से नरेंद्र मोदी को पीएम पद का दावेदार बनाने के पक्ष में थी। आज इसी डिमांड की चली। भगवा दल ने कहा ‘अंत भला, सो सब भला।’
इस फैसले से पार्टी के दिग्गज लालकृष्ण आडवाणी का विरोध छिपा नहीं था, लेकिन शाम गुलाबी होते-होते मिजाज बदले, मन बदले और फैसला हो गया। और भाजपा ने कहा ‘नमो-नमो।’ शुक्रवार शाम पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक में यह अहम फैसला हुआ। लेकिन इससे पहले दिन भर जो मैच खेल गया, वह भारत-पाकिस्तान के किसी वनडे से कम नहीं था।
दिन निकलते ही मुलाकातों का दौर शुरू हो गया था। अनंत कुमार, सुषमा स्वराज से मिलने पहुंचे। आडवाणी से मिलने नितिन गडकरी और मुरली मनोहर जोशी पहुंचे। सवेरे बीजेपी प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने साफ कर दिया था कि यह महज औपचारिकता है, क्योंकि ज्यादातर सदस्य मोदी के पक्ष में हैं।