उत्तरकाशी। उत्तराखंड में उच्च शिक्षा की हालत लगातार बद से बदतर होती जा रही है। किसी भी महाविद्यालय
सीमांत जनपद उत्तरकाशी के इस राजकीय पीजी कॉलेज में वर्षों से शिक्षकों की कमी बनी हुई है। कॉलेज में कला, विज्ञान व वाणिज्य संकाय में प्राध्यापकों के 58 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से 42 प्राध्यापक ही तैनात हैं और 16 पद पिछले कई वर्षों से खाली हैं। हालात इस कदर बदतर हैं कि अर्थशास्त्र, गणित व भूगोल विषय स्नातक से लेकर स्नातकोत्तर तक पढ़ाए जा रहे हैं, लेकिन इन विषयों के मात्र एक-एक शिक्षक ही तैनात हैं। यहां भौतिक विज्ञान, गणित, भूगोल, रसायन, इतिहास, अंग्रेजी, संस्कृत, चित्रकला, राजनीति विज्ञान में एक-एक पद, जंतु विज्ञान में दो पद व वाणिज्य संकाय में तीन पद रिक्त हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार किस तरह उच्च शिक्षा के मामले में पहाड़ के साथ खिलवाड़ कर रही है।
मुख्यमंत्री की हवाई घोषणाः दिलचस्प बात यह है कि गत 26 अक्टूबर को मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जब उत्तरकाशी के दौरे पर आए तो उस समय भी लोगों ने उनके ध्यान में यह मामला लाया। इस पर मुख्यमंत्री ने तुरंत घोषणा तो कर डाली कि पीजी कॉलेज में रिक्त पद शीघ्र भर दिए जाएंगे, लेकिन बाद में इस दिशा में कुछ भी नहीं हुआ।
यह तो इस कालेज के प्रति पूर्व छात्रों का अनुराग कहें या फिर अपनी नैतिक जिम्मेदारी का अहसास जो उन्होंने स्वयं आगे आकर शिक्षण व्यवस्था को काफी हद तक संभाल लिया। इस समय कालेज में अनेक विषय पूर्व छात्रों के भरोसे ही चल रहे हैं और यह सेवाएं वे बिल्कुल निशुल्क दे रहे हैं, वरन उच्च शिक्षा मंत्रालय व विभाग तो मात्र तमाशबीन बना बैठा है।
राजकीय पीजी कॉलेज उत्तरकाशी के प्राचार्य प्रो. केएस मालगुड़ी भी स्वीकार करते हैं कि शिक्षकों की कमी से कई विषयों में पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है। कुछ पूर्व छात्र पढ़ाई में सहयोग कर रहे हैं। अभी भी कुछ विषयों में पठन-पाठन बेहद मुश्किल से चल रहा है।