नाहन (सिरमौर)। प्रदेश सरकार क्या विधायकों-मंत्रियों को ही जनप्रतिनिधि मानती है और पंचायती राज
धारठीधार पंचायत धगेड़ा के प्रधान वीरेंद्र सिंह तोमर, पंजाहल के प्रधान राजेश कुमार, कटाह शीतला के प्रेम सिंह, देवका पुड़ला के नरेश कुमार, कौंलावालाभूड़ के प्रेमपाल और जमटा पंचायत की प्रधान कमला देवी व उपप्रधान प्रेम पाल सिंह तथा धगेड़ा पंचायत के उप प्रधान जोगेंद्र सिंह ने प्रदेश सरकार को भेजे एक संयुक्त हस्ताक्षरित पत्र में कहा है कि पंचायत प्रतिनिधि सारा समय आम जनता के बीच रहते हैं तथा लोगों के कार्यों के लिए सरकारी कार्यालयों में भटकते रहते हैं। ऐसे में उन्हें मानदेय के रूप में जो राशि दी जा रही है, वह महंगाई के इस दौर में काफी कम पड़ रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अपने विधायकों व मंत्रियों का मानदेय बढ़ा कर 1.20 लाख से लेकर 2 लाख रुपये तक कर दिया, लेकिन ऐसा करते समय पंचायत प्रतिनिधियों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। यह पंचायत प्रतिनिधियों के साथ सरकार का भेदभाव एवं अन्याय पूर्ण रवैया है।
पंचायत प्रधानों ने आरोप लगाते हुए कहा कि मानदेय बढ़ाने के मामले में सभी राजनीतिक पार्टियां एक हो गईं और इस स्थिति में पंचायत प्रतिनिधि खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, लेकिन अब चुप नहीं बैठेंगे और इस अन्याय के खिलाफ संघर्ष करेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार 26 जनवरी तक प्रधानों का मानदेय कम से कम 20 हजार, उपप्रधानों का 15 हजार और वार्ड पंचों का मानदेय कम से कम 5 हजार रुपये करने की घोषणा करे अन्यथा उन्हें मजबूरन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।