शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार बर्फ से ढके जनजातीय क्षेत्रों के लिए शीतकालीन हवाई
किलाड़ (पांगी) से वरिष्ठ पत्रकार कृष्णचंद राणा कहते हैं कि पांगी घाटी में सरकारी उपेक्षा के कारण लोग आज एक घुटन सी महसूस कर रहे हैं। उन्हें न तो पूर्व भाजपा सरकार के शासनकाल में राहत मिली और न ही मौजूदा कांग्रेस सरकार से। विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने पांगी में हुई अनगिनत जनसभाओं में हर वर्ष दिसंबर के शुरूआत से ही हवाई सेवाएं उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन वास्तविकता यह है कि जनवरी का आधा महीना गुजर चुका है और अभी तक घाटी के लिए एक भी उड़ान नहीं हो पाई है। इसका सबसे अधिक खामियाजा पांगी में उपचाराधीन मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। हेलीकाप्टर का इंतजार करते-करते एक मरीज हेमसिंह की तो मृत्यु हो गई। हेम सिंह को स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से आइजीएमसी शिमला के लिए रेफर किया गया था। अभी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र किलाड़ में पांच और मरीज जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में इन्हें भी पांगी से रेफर कर दिया गया है, मगर बर्फबारी के कारण सभी सड़कें बंद हैं और हेलीकाप्टर के दर्शन भी नहीं हो रहे।
पांगी घाटी में पिछले साल भी हालात कुछ ऐसे ही थे। उस समय जनवरी में सिर्फ दो उड़ानें ही पांगी के लिए हो पाई थीं। इनमें से भी एक उड़ान वनमंत्री के माध्यम से धरवास हेलीपैड के उद्घाटन को लेकर हुई थी। इसके अलावा एक उड़ान फरवरी में और एक अन्य मार्च में करवाई गई थी। जबकि सरकारी शेड्यूल के मुताबिक एक माह में चार उड़ानों की रूपरेखा तय की गई थी। स्थानीय ग्रामीणों में राम कुमार, भगत सिंह, राकेश कुमार, देव राज, अशोक, विपिन व देवी लाल का कहना है कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर घाटी में लोगों को नियमित उड़ान होने की उम्मीद जगी थी, लेकिन अब लोग स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रशासन को पांगी से चंबा जाने के लिए 85 और भुंतर के लिए 70 लोगों ने सीटें बुक कराई हैं। इनमें गंभीर रूप से बीमार मरीज भी शामिल हैं।
पांगी के एसडीएम चिरंजी लाल चौहान का कहना है कि हवाई सेवा के लिए अब तक सात मरीजों के आवेदन मिल चुके हैं, जिसमें से एक की मृत्यु हो गई है। उन्होंने कहा कि जनजातीय विकास निगम को इसकी जानकारी दे दी गई है। अगर मौसम साफ रहा तो शीघ्र हवाई परिवहन सेवा शुरू हो जाएगी।
केलांग (लाहौल-स्पीति) से अजय लाहौली के अनुसार लाहौल घाटी को शीतकालीन हेलीकॉप्टर सेवा शुरू नहीं होने के कारण अनेक मरीज यहां से बाहर जाने के लिए छटपटा रहे हैं। घाटी में एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात नहीं होने के कारण यहां सेवाएं दे रहे चिकित्सकों के पास मरीज को रेफर करने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाता है। इस समय लाहौल के नौ हेलीपैड में 428 यात्रियों ने उड़ान समितियों के पास सीट के लिए आवेदन कर रखा है। इनमें नौ मरीज तथा तीन गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं।
उड़ान समिति से मिली जानकारी के मुताबिक तिंदी हेलीपैड के 30 यात्रियों, तिंगरेट से 8, उदयपुर से 47, वारिंग से 58, रावा से 32, तांदी से 35, स्तिंगरी हेलीपैड से 135, जिस्पा से 27 और सिस्सु हेलीपैड से 66 लोगों ने कुल्लू जाने के लिए सीट की बुकिंग करवाई हुई है। लोग हेलिकॉप्टर का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी कोई सुध नहीं ले रही है।
एसडीएम केलांग प्रशांत सरकेक का कहना है कि जैसे ही हवाई सेवा आरंभ होगी, उसमें पहली प्राथमिकता मरीजों और परीक्षार्थियों को दी जाएगी।