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गुलाब की खेती, इत्र का व्यापार

पिथौरागढ़। इस ग्राम्य जीवन की कल्पना ही कवितामयी लगती है। वे गुलाब की खेती करने जा रहे हैं, लेकिन आपको फूल नहीं देंगे, बल्कि इत्र की फुरहरियों से सराबोर करेंगे। उम्मीद की जा रही है कि यह कारोबार ग्रामीणों को शहरों की ओर पलायन से भी रोकेगा।  

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कैलास-मानसरोवर यात्रा मार्ग पर नारायण आश्रम के निकट 6000 फुट की ऊंचाई पर स्थित जयकोट गांव के लोग कुछ समय पहले तक आलू और राजमा की खेती करते थे। लेकिन बाजार दूर होने के कारण वे अपने उत्पाद वहां नहीं पहुंचा पाते थे। ढुलाई का भाड़ा अधिक होने के कारण अकसर उत्पादों की लागत भी नहीं कल पाती थी।

ऐसे में कुछ जागरूक ग्रामीणों ने कुछ नया करने की सोची। सबसे पहले उन्होंने गांव में खिलने वाले जंगली गुलाब को चुना और उसका गुलाब जल और इत्र बनाने की सोची। इसके लिए उन्होंने यहां- वहां से जानकारियां जुटाईं और धीरे- धीरे स्वयं ही गुलाब जल तैयार करने लगे।  इसके बाद ग्रामीणों ने देहरादून में स्थित लैब में इस गुलाब जल का परीक्षण कराया तो वह अत्यंत उच्च कोटी का पाया गया। इस गुलाब जल को वहां से शत प्रतिशत शुद्धता की मुहर भी लग गई तो ग्रामीणों का उत्साह और बढ़ गया। ग्रामीणों ने तुरंत गुलाब की खेती शुरू कर गुलाब जल का व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर दिया है। वे अब बड़े पैमाने पर गुलाब की खेती करने जा रहे हैं। गुलाब का इत्र बनाने की भी योजना बनाई जा रही है।

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जयकोट के ग्राम प्रधान चंद्र सिंह ने बताया कि गांव में उत्पादित गुलाब जल की व्यापक स्तर पर मार्केटिंग की तैयारियां की जा रही हैं।  गांव में गुलाब जल तैयार कर रहे महेंद्र सिंह, रुकुम सिंह, जमन सिंह, दलीप सिंह, बहादुर सिंह, दलीप सिंह बड़ाल और गोपाल सिंह कार्की आदि ने बताया कि इस बार देशभर से कैलास- मानसरोवर यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों को गुलाब जल भेंटकर इसका प्रचार- प्रसार किया जाएगा।  

उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में गुलाब के इत्र का भी व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन किया जाएगा। गुलाब की खेती और गुलाब जल का उत्पादन करने के बाद से सीमांत क्षेत्र में बसे जयकोट गांव के युवाओं का रोजगार के लिए पलायन भी रुक गया है। माना जा रहा है कि यदि इन्हें मार्किटिंग में सरकार और प्रशासन का सहयोग मिला तो ये ग्रामीण निश्चित रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार की नई इबारत लिखेंगे।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में कन्नौज, जौनपुर आदि में गुलाब पर आधारित अनेक उद्योग चलते हैं। गुलाब की पंखुड़ियों से गुलकंद भी बनाया जाता है। गुलाब जल अनेक सौंदर्य प्रसाधनों में प्रयोग किया जाता है, जिस कारण इसकी काफी मांग रहती है।

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एचएनपी सर्विस

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