चमोली (गोपेश्वर)। चमोली जनपद में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह चरमरा गई हैं। आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा पद्दति विभाग तो जैसे राम
जिला में जोशीमठ, कर्णप्रयाग, गौचर, थराली, देवाल, घेष, मटई, घाट, पोखरी, जोशीमठ और नारायणबगड़ क्षेत्रों में स्थित आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र भी चिकित्सक विहीन चल रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों के स्वास्थ्य का जिम्मा यहां फार्मेसिस्टों पर ही है। ग्राम पंचायत जाख के आयुर्वेदिक अस्पताल में व्यवस्था पर एक फार्मासिस्ट रखा गया है, लेकिन वे भी क्षेत्र में समय नहीं दे पा रहे हैं। जनपद में वर्ष 2009-10 में स्वीकृत नवीन अनावासीय चिकित्सालय भवनों का निर्माण कार्य भी अधर में लटका हआ है।
जनपद के जयकंडी कालेश्वर (कर्णप्रयाग) में एक आयुष ग्राम की स्थापना प्रस्तावित है, जिसमें उच्च हिमालयी क्षेत्रों की जड़ी-बूटियों से बनी दवाइयों और पंचकर्म पद्धति से मरीजों का इलाज होना है। लेकिन आयुर्वेद विभाग में अधिकारियों की कमी के चलते आयुष ग्राम का मामला पिछले चार सालों से वन भूमि हस्तांतरण प्रक्रिया से आगे नहीं बढ़ पाया है।
जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डा. एसएन पुरोहित से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि ‘चिकित्सकों की कमी के संबंध में बार-बार निदेशालय को लिखा जा रहा है। हमारे पास फार्मासिस्टों की भी भारी कमी है। जैसे-तैसे अस्पतालों में व्यवस्था चलाई जा रही है।’
बिना डॉक्टर के चल रहे 34 आयुर्वेदिक अस्पताल
Advertisement