नई दिल्ली। देश में असहिष्णुता के मुद्दे पर पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों- कलाकारों का आंदोलन ना केवल जारी है,
कर्नाटक के धारवाड़ में गत 27 नवंबर को एक अनूठी मीटिंग हुई। धारवाड़ वही जगह है जहां प्रो. कालबुर्गी की हत्या की गई थी। यहां चार राज्यों के साहित्य अकादमी और अन्य दूसरी अकादमियों के पुरस्कार लौटाने वाले लेखक और तथा सरकारी सेवक जनता को यह बताने के लिए एकजुट हुए कि उन्होंने वास्तव में पुरस्कार क्यों लौटाए? अवसर था प्रो. कालबुर्गी के जन्म दिन का।
डा. गणेश देवी, जिन्होंने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्मश्री पुरस्कार लौटाए हैं, के नेतृत्व में गुजरात के लेखकों के एक ग्रुप ने धारवाड़ में इस मीटिंग में शामिल होने के लिए एक यात्रा शुरू की, जिसे दक्षिणायन नाम दिया गया। बाद में सिनेमा निर्माताओं, अभिनेताओं और चित्रकारों का एक ग्रुप भी इस यात्रा में शामिल हो गया। वे डा. दाभोलकर और कामरेड पानसारे के जन्मदिवस पर उनके घर भी गए और पूना तथा कोल्हापुर दोनों जगह उन्होंने मीटिंगें कीं, जिनमें बड़ी संख्या में साहित्यकारों, कलाकारें और वैज्ञानिकों ने भाग लिया। सभी मीटिंगों में उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने पुरस्कार क्यों लौटाए?
इसके बाद उन्होंने प्रो. कालबुर्गी के परिवार से मिलने के लिए धारवाड़ की ओर कूच किया। धारवाड़ में गोवा से चली एक धारा उनके साथ आकर मिल गयी। गोवा से शुरू हुई इस धारा में कर्टनाक के लेखक भी थे। धारवाड़ी सड़कों पर जैसे ही वे निकले, यह धारा नदी में तब्दील हो गई। वे प्रो. कालबुर्गी के घर गए और उनकी पत्नी, पुत्र और पुत्री के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट कीं। यहीं पर कर्नाटक की प्रो. कालबुर्गी हत्याविरोधी समिति द्वारा आयोजित सेमिनार में उन्होंने घोषणा की कि वे असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमलों के विरोध में अपना संघर्ष जारी रखेंगे।
अपनी इस यात्रा के दूसरे चरण में उन्होंने देश के धुर दक्षिणी केंद्र कन्याकुमारी तक पहुंचने के लिए अपनी दक्षिणायन यात्रा जारी रखी। अपनी यात्रा के इस दूसरे चरण में वे केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से गुजरेंगे।
डा. गणेश देवी ने घोषणा की कि गांधी जी के शहादत दिवस पर 30 जनवरी को सभी लेखक, जिन्होंने अपने पुरस्कार लौटाए हैं, दांडी में एक बैठक करेंगे और फिर दांडी यात्रा करेंगे। इसमें हजारों की संख्या में लोग भाग लेंगे।