देहरादून। बॉलीवुड के दिवंगत सुपरस्टार दिलीप कुमार की 1957 को रिलीज हुई एक बहुचर्चित फिल्म थी ‘नया दौर’, जिसमें एक गांव से शहर की ओर सवारियां ढोने वाले गाड़ीवानों का एक बस मालिक पूंजीपति के साथ कड़ा संघर्ष दिखाया गया था। आज चंपावत जिले में भारत- नेपाल सीमा पर बनबसा में साइकिलों पर सामान ढोने वाले नेपाली कैरियरों और ट्रांसपोर्टरों के मध्य भी कुछ ऐसा ही संघर्ष देखने को मिल रहा है।
नेपाली कैरियर्स, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं, आंदोलन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि भारतीय कस्टम के भेदभाव पूर्ण रवैये के चलते उनके घरों में एकाएक रोजी रोटी का खतरा उत्पन्न हो गया है। मजदूरों का कहना है कि यदि भारतीय कस्टम ने उनके लिए पहले की तरह साइकिल पर सामान ले जाने की व्यवस्था बहाल नहीं की तो वे ट्रांसपोर्टरों के वाहनों को भी सामान नहीं ले जाने देंगे।
भारत- नेपाल सीमा पर बनबसा में पिछले काफी लंबे अरसे से 500 के करीब नेपाली कैरियर साइकिलों पर भारतीय क्षेत्र से नेपाल के लिए सामान ढोते थे। कोरोना काल में आवाजाही बंद होने के कारण इनका कारोबार ठप रहा। इस वर्ष मार्च से सीमा पर कुछ प्रतिबंधों के साथ नेपाली कैरियरों का आवागमन शुरू हुआ है, लेकिन भारतीय कस्टम अधिकारी अब इन्हें साइकिलों पर अधिक सामान नेपाल नहीं ले जाने दे रहे। इससे मजदूर नाराज हैं और बनबसा में भारतीय कस्टम अधिकारियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
मजदूरों ने मीडिया से बातचीत करते हुए आरोप लगया कि भारतीय कस्टम अधिकारी बड़े ट्रांसपोर्टरों के दबाव में आकर उन्हें सामान ढुलाई के कार्य से बाहर करने की साजिश रच रहे हैं तथा यह सब लॉकटाउन के दौरान चुपचाप किया गया है। इसे सहन नहीं किया जा सकता।
मजदूरों ने बताया कि पिछले वर्ष लॉकडाउन से पहले बनबसा में केवल पांच ट्रांसपोर्ट थे, लेकिन इस वर्ष मार्च के बाद भारत- नेपाल सीमा पर नेपाल को सामान की सप्लाई शुरू होते ही यहां डेढ़ दर्जन के करीब छोटे- बड़े ट्रांसपोर्ट खुल गए हैं। इससे बनबसा बाजार का खुदरा व्यवसाय भी खासा प्रभावित हो गया है।
बनबसा में कस्टम अधीक्षक केएस शुक्ला ने इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि, “इस सीमा पर भारतीय कस्टम का काम भारत- नेपाल व्यापार संचालित करना है। सीमा पर व्यावसायिक गतिविधियों के लिए कस्टम एक्ट के तहत बिल ऑफ एक्सपोर्ट और आईजीएसटी आदि कागजात होने जरूरी हैं। ट्रांसपोर्ट से नियमों के तहत सामान की आपूर्ति नेपाल के लिए की जा रही है। नेपाली नागरिक केवल अपनी घरेलू जरूरत की पूर्ति के लिए सामान ले जा सकते हैं।”