नई दिल्ली। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार चुनावी वर्ष में अध्यापकों के उग्र आंदोलनों से सूझ रही है। प्रदेश के 2.88 लाख अस्थायी अध्यापक पिछले कई वर्षों से न्याय के लिए दर- दर भटक रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। शनिवार को महिला अध्यापकों ने सामुहिक मुंडन की शुरुआत कर आंदोलन को और तेज करने दिया। ये अध्यापक शिक्षा विभाग में संविलियन और ‘समान काम समान वेतन’ की मांग कर रहे हैं।
आजाद अध्यापक संघ ने प्रदेश सरकार की वादा खिलाफी से नाराज होकर सामुहिक मुंडन का निर्णय लिया था, जिसकी शुरुआत संघ की अध्यक्ष शिल्पी शिवान सहित चार महिला अध्यापिकाओं ने मुंडन कराकर की। संगठन से जुड़े एक हजार अध्यापक- अध्यापिकाओं ने सिर मुंडाने की घोषणा की है। संघ ने गत 5 जनवरी से ओमकारेश्वर से अधिकार यात्रा शुरू की थी।
शिल्पी शिवान ने मीडिया को बताया, ‘‘ हम इन महिला शिक्षकों के केश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह को भेंट करना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने हमें मुख्यमंत्री निवास के पास जाने की अनुमति नहीं दी।” उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मुख्य मांग है कि हमारी सेवाएं शिक्षा विभाग के अधीन की जाए और प्रदेश के अन्य नियमित कर्मचारियों के समान हमें सुविधाएं दी जाएं।”
संघ के महासचिव केशव रघुवंशी ने कहा, “हम वर्षों से स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन हमें नहीं पता कि हम किस विभाग से संबंधित हैं। शिक्षा विभाग का कहना है कि हम स्थानीय निकायों के कर्मचारी हैं, जबकि स्थानीय निकाय का कहना है कि हम शिक्षा विभाग के कर्मचारी हैं।”
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिस कारण वहां विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए साथ-साथ तैयारियां चल रहा हैं। प्रदेश में कर्मचारियों, छोटे व्यापारियों, किसानों, मजदूरों के लगातार बढ़ते जा रहे आंदोलनों को शिवराज सिंह सरकार के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है।