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‘आप’ की उपलब्धि का सेहरा अपने सर बांधने की हसरत

शिमला। दिल्ली की आजादपुर मंडी में आढ़तियों द्वारा वसूली जाने वाली अवैध कमीशन को लेकर आए अदालत के

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फैसले का श्रेय ओढ़ने के लिए कांग्रेस और भाजपा में होड़ मची हुई है। दोनों ओर से बढ़चढ़ कर दावे किए जा रहे हैं कि उनके प्रयासों से ही राज्य के बागवानों को दिल्ली उच्च न्यायालय से यह राहत मिली है। …लेकिन वास्तव में हकीकत कुछ और ही है। यह किसी और की उपलब्धि का सेहरा अपने सर बांधने का प्रयास है।

दिल्ली की आजादपुर मंडी में आढ़ती पिछले कई दशकों से सेब सहित अन्य कृषि उत्पादों पर किसानों से 6 से 10 प्रतिशत तक कमीशन अवैध रूप से वसूलते रहे हैं। अदालत हमेशा किसानों के साथ खड़ी थी, लेकिन व्यापारियों के दबाव में केंद्र और दिल्ली राज्य की सरकारें आढ़तियों पर नकेल डालने के लिए तैयार नहीं हुईं। हिमाचल की कांग्रेस और भाजपा सरकारें भी इस मामले में मात्र दिखावे के लिए ही लड़ाई लड़ती रहीं, अन्यथा इस मुद्दे को सुलझाने में कई दशक न लगते।

हकीकत यह है कि गत वर्ष दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी की (49 दिनों की )सरकार बनी तो कुछ लोगों ने यह मामला मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ध्यान में लाया था। मुख्यमंत्री ने जांच की तो में पाया कि इस मामले में तो दिल्ली उच्च न्यायालय ने काफी पहले ही किसानों के पक्ष में फैसला दे रखा था, जिसमें आढ़तियों की इस कमीशन वसूली को अवैध घोषित किया गया था, लेकिन तत्कालीन दिल्ली सरकार ने उसे लागू नहीं किया था। केजरीवाल ने जानकारी मिलते ही 31 जनवरी 2014 को आजादपुर मार्किट में किसानों से अवैध कमीशन वसूली पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी। अखबारों में यह समाचार प्रमुखता से प्रकाशित हुआ था। himnewspost.com ने भी उसी दिन ( ‘आप’ का तोहफाः दिल्ली मंडी में अवैध कमीशन पर रोक) शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था।

दिल्ली में आढ़तियों- व्यापारियों ने ‘आप’ सरकार की इस घोषणा के विरोध में बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन किए और कई दिन तक व्यापार बंद भी रखा, लेकिन केजरीवाल अपने फैसले पर अड़े रहे। बाद में जब केजरीवाल सरकार गिर गई तो सरकारों ने आजादपुर मंडी में पुरानी व्यवस्था फिर से बहाल कर दी। आढ़तियों ने इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने रद्द कर दिया है।

दिल्ली में अब फिर से आम आदमी पार्टी की सरकार लौट आई है और यह तय है कि यह सरकार अवैध कमीशन वसूली पर सख्ती से रोक लगाएगी और प्रदेश के सेब उत्पादकों को पहली बार इसका लाभ मिलेगा। कांग्रेस –भाजपा की यही चिंता है कि राज्य के बागवानों को मिलने वाले इस लाभ का श्रेय आम आदमी पार्टी को न मिल जाए।

शिमला जिला कांग्रेस  कमेटी (ग्रामीण) के अध्यक्ष केहर सिंह खाची और हिमुडा के उपाध्क्ष यशवंत छाजटा का कहना है, “ मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 1994 में अवैध कमीशन वसूली का मामला केंद्र में उठाया था। बाद में उन्हीं के निर्देशों पर राज्य विपणन बोर्ड ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की थी। इसी के परिणाम स्वरूप अदालत ने अवैध कमीशन वसूली पर यह रोक लगाई है। भाजपा का इस मामले से दूर- दूर तक भी कोई वास्ता नहीं है। ”

उधर, भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा कहते हैं, “बागवानों से अवैध कमीशन वसूली पर सबसे पहले मैंने ही दिल्ली में आवाज बुलंद की थी। इसके सारे दस्तावेज मेरे पास मौजूद हैं। कांग्रेस के इस संबंध में सारे दावे झूठे एवं हास्यास्पद हैं।”

एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

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