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सरकार और आरबीआई गवर्नर में टकराव के आसार

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने मौद्रिक नीति तय करने के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर के अधिकार

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छीनने की तैयारी शुरू कर दी है। जानकारों की नजर में इसका सीधा मतलब होगा- आने वाले समय में सरकार और आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के मध्य टकराव।  

मोदी सरकार ने भारतीय वित्तीय कोड का जो नया मसौदा जारी किया है उसके अनुसार रिज़र्व बैंक गवर्नर से जुड़ा एक अहम अधिकार छिन सकता है। देश में आरबीआई गवर्नर के पास ब्याज दरें तय करने का पूर्ण अधिकार रहा है यानि मौद्रिक नीति तय करने की अहम भूमिका इसी पद से जुड़ी रही है।

नए मसौदे को मंज़ूरी मिलने के बाद सरकार के अधिकारों में बढ़ोतरी होगी। ब्याज दरें तय करने के लिए अब सात सदस्यीय समिति का गठन होगा। इस समिति में चार प्रतिनिधि सरकार के होंगे, जबकि तीन रिज़र्व बैंक से रहेंगे। बैंक के खाते में जो सीटें आई हैं, गवर्नर उसी का हिस्सा होंगे।

अधिकार कम होंगेः नए मसौदे के तहत आरबीआई गवर्नर के पास निर्णायक मत का अधिकार तभी रहेगा जब पक्ष-विपक्ष के वोट बराबर हो जाएं। आरबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि रिज़र्व बैंक में इस मसौदे को लेकर निराशा का माहौल है।

बैंक ऑफ़ बड़ौदा के पूर्व कार्यकारी निदेशक आरके बक्शी को लगता है कि अगर ऐसा हुआ तो गवर्नर की भूमिका ख़ासी कम हो जाएगी।

उन्होंने कहा, “मौजूदा स्थिति में आरबीआई गवर्नर के पास पूरी पावर है ब्याज दरों को लेकर। अभी तक वोटिंग की कोई प्रणाली नहीं है जैसी अब हो सकती है।”

बक्शी ने कहा, “ये एक अच्छा क़दम है जो अमरीका और इंग्लैंड में बहुत वर्षों से रहा है, लेकिन प्रस्तावित समिति में अगर चार प्रतिनिधि सरकारी रहेंगे तब टकराव भी होगा और गवर्नर के अधिकारों में गिरावट भी आएगी।”

‘द टेलीग्राफ़’ अख़बार के बिजनेस संपादक जयंतो रॉय चौधरी का मानना है कि नए प्रावधानों से टकराव बढ़ेगा। पिछले लगभग एक वर्ष से सरकार का रिज़र्व बैंक पर ब्याज दरें घटाने को लेकर दबाव सा देखा गया है।

सरकार का मत रहा है कि विकास दर बढ़ाने के लिए महंगाई दर पर आरबीआई का ध्यान कम और ब्याज दरें घटाने पर ज़्यादा होना चाहिए।

हालांकि गवर्नर रघुराम राजन के नेतृत्व में आरबीआई ने अपनी नीति पर चलते हुए ब्याज दरों में फ़ैसले को संभल कर ही लिया है। ‘द टेलीग्राफ़’ अख़बार के बिज़नेस संपादक जयंतो रॉय चौधरी के अनुसार, नई सरकार ने इस मसौदे में यूपीए सरकार द्वारा डाला गया एक अहम प्रावधान हटा लिया है।

उन्होंने कहा, “निश्चित तौर पर आरबीआई की आज़ादी पर बट्टा लग सकता है। यूपीए सरकार के समय में बने इस मसौदे में आरबीआई गवर्नर के पास ब्याज दरों के मामले में वीटो पावर थी जो अब हटा ली गई है।”

चौधरी ने कहा, “मैं ये तो नहीं कह सकता कि पिछली सरकार के और आरबीआई के बीच मतभेद बिलकुल नहीं थे, लेकिन अब तो टकराव की स्थिति है और मामले का राजनीतिक विरोध भी होगा।”    (बीबीसी न्यूज सर्विस से साभार)

एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

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