अल्मोड़ा। विवाह के लिए नाबालिग कन्या की खरीद-फरोख्त की आशंका पर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के
जिला मुरादाबाद में सम्भल तहसील के तहत रझा गांव से शुक्रवार को एक बारात यहां वज्यूला गांव आई थी। विवाह की सारी रस्में पूरी करने के बाद शनिवार सायं बाराती दुल्हन लेकर लौट रहे थे कि अल्मोड़ा में बजरंग दल व विहिप कार्यकर्ताओं ने वाहन में सवार दूल्हे समेत सभी बारातियों को रोक लिया और यह कहते हुए कि दुल्हन नाबालिग है और यह कन्या की खरीद- फरोख्त का मामला है, उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया। इसके साथ ही कार्यकर्ताओं ने कोतवाली का घेराव भी शुरू कर दिया।
कोतवाली प्रभारी ने इस मामले में दूल्हे तथा उसके भाइयों से लम्बी पूछताछ की। इसके बाद फोन के जरिए दुल्हन के परिजनों को सूचित किया गया और दुल्हन के बालिग होने के प्रमाण लेकर अल्मोड़ा कोतवाली पहुंचने को कहा गया। इस विवाद के कारण दूल्हे समेत सभी बारातियों को शनिवार रात कई घंटे कोतवाली में बिताने पड़े। इसी बीच पुलिस ने दुल्हन का बेस अस्पताल से मेडिकल भी कराया।
पुलिस पूछताछ में जो बात सामने आयी है, उसके अनुसार बागेश्वर जिले के नौगांव निवासी दीपक कुमार ने यह शादी तय कराई थी। दूल्हे के भाई चमन त्यागी के मुताबिक शादी की बात पक्की होने पर वे शुक्रवार को सम्भल से बारात लेकर वज्यूला गांव पहुंचे थे। रात में शादी की रस्में पूरी होने के बाद शनिवार को वे लौट रहे थे कि रास्ते में विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उन्हें रोक लिया।
देर रात करीब दस बजे दुल्हन के माता-पिता तथा अन्य परिजन अल्मोड़ा पहुंचे। उन्होंने कोतवाली प्रभारी पीएल वर्मा के सामने बयान दर्ज कराए और कहा कि यह विवाह आपसी रजामंदी से हुआ है। हालांकि उन्होंने दुल्हन के बालिग होने के साक्ष्य के रूप में परिवार का राशन कार्ड भी दिखाया, जिसमें दुल्हन की उम्र करीब 20 वर्ष दर्ज थी, लेकिन पुलिस उम्र निर्धारण के लिए परिवार रजिस्टर की नकल तथा स्कूली प्रमाण पत्रों को ही ठोस आधार बताने लगी। बाद में दूल्हन के माता-पिता के लिखित बयानों के बाद पुलिस ने दूल्हे समेत सभी बारातियों को छोड़ दिया। लेकिन यह सारी प्रक्रिया पूरी होने में करीब 8 घंटे लग गए।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों से पिछले काफी समय से शिकायतें मिल रही हैं कि वहां विवाह के लिए बड़े पैमाने पर कन्याओं की खरीद-फरोख्त का धंधा चल रहा है तथा इससे संबंधित अनेक संगठित रेकेट पहाड़ों में संचालित हैं। विहिप और बजरंग दल जैसे अनेक संगठन इस सामाजिक बुराई के खिलाफ आंदोलनरत हैं।
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