देहरादून। उत्तराखंड में शीघ्र होने वाले विधानसभा चुनाव में दलितों को अपने पाले में करने के लिए भाजपा ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। मुद्दा दलितों का मंदिरों में प्रवेश को लेकर है और इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है राज्यसभा सांसद तरुण विजय को। माना जा रहा है कि इस मुहिम को यदि गंभीरता से चलाया गया तो भाजपा के लिए यह तुरुप का पत्ता साबित हो सकती है।
उत्तराखंड में पहाड़ी क्षेत्रों के विभिन्न मंदिरों में दलितों को प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। पोखरी-चकराता स्थित शिलगुर देवता का मंदिर भी इनमें एक है। मंदिर कमेटियों के इस असंवैधानिक कृत्य का दलित काफी समय से विरोध आ रहे हैं, परंतु अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने उनका सहयोग नहीं किया। लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पूर्व इस मामले में भाजपा ने लगता है बाजी मार ली है।
सांसद तरुण विजय ने शुक्रवार को विकासनगर खंड विकास अधिकारी कार्यालय परिसर से आराधना ग्रामीण विकास केंद्र समिति के बैनर तले दलितों के एक दल को विभिन्न मंदिरों में प्रवेश को जाने के लिए रवाना किया। यह दल सांसद के नेतृत्व में पोखरी चकराता स्थित शिलगुर देवता मंदिर में दर्शन करेगा। इस यात्रा को ‘जौनसार बावर परिवर्तन यात्रा’ का नाम दिया गया है।
शिलगुर देवता मंदिर में दलितों की एंट्री पर रोक को लेकर समय- समय पर विवाद होते रहे हैं। लंबे समय से दलित समाज इस मंदिर में प्रवेश को लेकर आंदोलित भी रहा है। लेकिन सरकारों और प्रशासन ने मंदिर के कारकुनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
‘जौनसार बावर परिवर्तन यात्रा’ को रवाना करते हुए सांसद ने कहा कि दलितों को मंदिर में प्रवेश से रोकना घोर कानूनी अपराध है। इसी कारण वे अब दलितों को साथ लेकर मंदिरों में प्रवेश करेंगे। उन्होंने कहा, “भगवान को जाति में नहीं बांटा जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो इससे हिंदू धर्म का ही नुकसान होगा।”
आराधना ग्रामीण विकास केंद्र समिति के संरक्षक दौलत कुंअर सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “स्थानीय स्वर्णों द्वारा जौनसार बावर में कई मंदिरों में दलितों को प्रवेश करने से रोका जा रहा है। वे दलितों को मंदिरों में प्रवेश से रोके जाने पर किसी तरह का विवाद खड़ा नहीं करेंगे, बल्कि गांधीवादी तरीका अपनाएंगे और रोकने वालों को भी इसके बारे में जागरूक करेंगे ताकि समाज में आपसी सौहार्द बना रहे।”