टिहरी गढ़वाल। उत्तराखंड राज्य में किसानों से कृषि बीमा योजना के तहत करोड़ों रुपये प्रीमियम वसूलने के बावजूद पिछले तीन वर्षों से
टिहरी गढ़वाल जिले में करीब ढाई हजार किसान प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हुई बीमित फसलों के मुआवजे के लिए पिछले तीन वर्षों से बीमा कंपनी के कार्यालयों में चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन बीमा कंपनी टालमटोल ही करती जा रही है।
उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली क्षति की भरपाई के लिए हजारों की संख्या में किसान हर वर्ष अपनी फसलों का बीमा कराते हैं। वर्ष 2010-11 में जनपद के हजारों काश्तकारों ने मटर, आलू, अदरक, मंडुवा, झंगोरा आदि फसलों का बीमा कराया था। किसानों ने खेती के अनुसार दो सौ से दो हजार रुपये का प्रीमियम जमा कराया था। इन तीन वर्षों में कुछ किसानों की फसलें सूख गईं तो कुछ की ओलावृष्टि से नष्ट हो गईं। नियमानुसार कंपनी को मुआवजे के रूप में किसानों को मुआवजा देना था, लेकिन तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बावजूद कोई अदायगी नहीं की गई।
सबसे अधिक बीमा चम्बा प्रखंड में सात सौ काश्तकारों ने कराया था। इसके अलावा प्रतापनगर में पांच सौ, भिलंगना में चार सौ, नरेंद्रनगर में तीन सौ, जौनपुर में चार सौ और सबसे कम देवप्रयाग के दो सौ काश्तकारों ने अपनी फसलों का बीमा कराया था। किसानों का आरोप है कि काफी प्रयासों के बाद भी बीमा कंपनी देय मुआवजा देने के तैयार नहीं है।
क्षेत्र की पंचायतों के प्रतिनिधियों सुचेता डबराल और अनिल रमोला का कहना है कि बीमा कंपनी ग्रामीणों को गुमराह कर रही है। कंपनी का कहना है कि राज्यांश न मिलने के कारण उन्हें अभी तक बीमाधन नहीं दिया गया। किसानों का कहना है कि यदि इसमें कोई सच्चाई भी है तो इसमें किसानों का क्या कसूर? उन्होंने तो कंपनी से ही बीमा कराया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार को भी अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
केंद्र एग्री कल्चर इंश्योरेंश कंपनी के क्षेत्रीय बीमा सलाहकार वीरेन्द्र नेगी का कहना है कि कंपनी को तीन प्रतिशत राज्यांश मिलता है और 2 प्रतिशत केन्द्र सरकार मदद करती है। इस बार 2.35 करोड़ रुपये का प्रीमियम जमा हुआ था, लेकिन राज्यांश नहीं मिलने के कारण किसानों को मुआवजा नहीं दिया जा सका है।
उत्तराखंड में कृषि बीमा के नाम पर किसानों से ठगी!
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