रामपुर बुशहर। हिमाचल प्रदेश मिल्कफैड का यहां दत्तनगर में स्थापित संयंत्र जहां क्षेत्र के दुग्ध उत्पादकों के लिए वरदान साबित हुआ है, वहीं
हिमाचल प्रदेश मिल्कफैड ने दत्तनगर में करीब आठ करोड़ रुपये की लागत से यह दुग्ध संयंत्र स्थापित किया है, जिसमें मिल्क प्रोसेसिंग, मिल्क प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग के अलावा मिल्क पाऊडर प्रोसेसिंग यंत्र स्थापित किए गए हैं। हिमाचल प्रदेश का दूध से जुड़ा यह का सब से बड़ा संयंत्र होने के साथ-साथ ही यह पहला दुग्ध पाउडर निर्माण केंद्र भी बन गया है। इस संयंत्र में दैनिक 1.10 लाख लीटर दूध भंडारण की क्षमता है। ऊपरी क्षेत्र से इस संयंत्र में गर्मियों के मौसम में 42 हजार लीटर दूध पहुंचता है। इस संयंत्र में प्रतिदिन 1200 किलोग्राम घी और 50 क्विंटल दूध पाऊडर निकाला जा सकता है। गत 17 नवंबर से जैसे ही इस संयंत्र में दूध पाउडर बनाने की प्रक्रिया आरंभ हुई, हिमाचल प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों के नौनिहालों के लिए यहीं से आपूर्ति करने का भी निर्णय लिया गया। इस संयंत्र में तैयार दूध पाउडर बाजार में दूसरी कंपनियों के दूध पाउडर से आधी कीमत पर उपलब्ध है। बाजार में मिलने वाले दूध के पाउडर में चीनी मिली होती है, जबकि इस इसे शुगर फ्री रखा गया है। इसे छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए उत्तम बताया जा रहा है।
इस संयंत्र से हाल ही में शिमला, कांगड़ा, सोलन, सिरमौर आदि जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए दस किलोग्राम पैक के पांच हजार कट्टे सप्लाई किए जा चुके हैं। इसके अलावा प्रदेश के दूसरे हिस्सों में भी दूध पाऊडर और घी भेजा जा रहा है। इस केंद्र से तैयार होने वाले घी का बाजारी भाव 300 रुपये प्रति लीटर, मक्खन 295 रुपये किलोग्राम, पनीर 200 रुपये किलोग्राम, दूध पाऊडर आधा किलोग्राम का पैकेट 90 रुपये और खोया डेढ़ सौ रुपये प्रति किलोग्राम है।
बहरहाल दत्तनगर में सरकारी भागीदारी वाली संस्था द्वारा स्थापित इस संयंत्र के कारण क्षेत्र के दुग्ध उत्पादकों को दूध के वाजिब दाम मिलने लगे हैं। इससे पूर्व क्षेत्र में कई बार वामपंथी संगठनों के बैनर तले लोगों ने दूध की कीमतों को लेकर संघर्ष किया था। हालात ऐसे थे कि क्षेत्र में दूध सस्ता और बाजार में बिकने वाली पानी की बोतल महंगी थी। ऊपरी क्षेत्र के मध्यम और निम्न ऊंचाई वाले इलाकों में लोगों का प्रमुख पेशा दूध उत्पादन ही है। इस पेशे में महिलाओं की भागीदारी नब्बे फीसदी से भी अधिक हैं। जंगल से घास एकत्रित करने से ले कर दूध को बाजार तक पहुंचाने का काम अधिकांशत: महिलाएं ही करती हैं। बाजार में दूध मांग से अधिक पहुंचने के कारण दूध व्यापारियों की हेकड़ी से लोग परेशान थे। जैसे ही दत्तनगर में मिल्क चिलिंग प्लांट स्थापित हुआ है, कुल्लू के निरमंड, निथर, दलाश, आनी, मंडी के करसोग का ऊपरी क्षेत्र और शिमला के रामपुर, कुमारसेन, कोटगढ़ ननखड़ी व रोहडू क्षेत्र लाभान्वित हुए हैं।
मिल्कफैड के अध्यक्ष मोहन जोशी ने बताया कि वर्तमान में यहां गांव -गांव में 150 दुग्ध सहकारी समितियां दूध एकत्रिकरण का काम कर रही हैं। इससे न केवल लोगों का दूध घर द्वार पर ही बिक रहा है, बल्कि समितियों में सचिव के तौर पर सैकड़ों लोगों व प्लांट में काम करने वाले दर्जनों लोगों को रोजगार भी उपलब्ध हुआ है। उनका कहना है कि ग्रामीण आर्थिकी को मजबूत करने के लिए यह एक सक्षक्त माध्यम है।
मोहन जोशी ने बताया कि हिमाचल में सबसे ज्यादा दूध आउटर सिराज के निरमंड खंड और साथ लगते इलाकों में ही होता है। हिमाचल में गर्मियों में प्रतिदिन एक लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है, जिसमें करीब 48 हजार लीटर आउटर सिराज में होता है। इसलिए प्लांट को अधिक दुग्ध उत्पादन वाले क्षेत्र में स्थापित कर लोगों को आर्थिक तौर से सक्षक्त बनाने का प्रयास किया गया है।
मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट के प्रबंधक राकेश चौहान ने बताया कि प्लांट में जो भी उत्पाद तैयार हो रहे हैं उन्हें उच्च गुणवत्तायुक्त रखने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बाजार में दूसरी कंपनियों के दूध के उत्पादों को व्यापारी इसलिए अधिक तवज्जो देते हैं, क्योंकि उनमें कमीशन अधिक रहता है। अगर गुणवता और पौष्टिकता पर ध्यान दें तो मिल्कफैड कोई समझौता नहीं करता।
मिल्कफैड ने बदली दुग्ध उत्पादकों की तकदीर
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