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प्राकृतिक आपदाओं के कारण पर्यटन सीजन सिमटा

कुल्लू। हिमाचल प्रदेश में ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन समाप्ति की ओर अग्रसर है। भारी वर्षा के कारण जगह- जगह दरकती पहाड़ियों और पर्यटकों को वैक्सीनेशन की रिपोर्ट के साथ आने की बंदिश का असर भी पड़ा है कि अगस्त माह से राज्य के पर्यटक स्थल सूने पड़ने लगे हैं। होटल और होम स्टे खाली पड़े हैं। हजारों टैक्सियां सड़कों के किनारे खाली खड़ी हैं। कुल्लू- मनाली में होटलों की ऑक्यूपेंसी पांच फीसदी से भी नीचे आ गई है। मणिकर्ण और बंजार घाटी में भी सैलानियों के कदम थम से गए हैं, जिससे सैकड़ों होटल और होम स्टे बंद होने की कगार पर आ गए हैं।

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पर्यटक नहीं मिलने से टैक्सी संचालकों की चिंता भी बढ़ गई है। मनाली में काम नहीं होने से हजारों टैक्सियां खड़ी देखी जा सकती हैं। पहले दो साल से कोरोना का दंश झेल रहे कुल्लू- मनाली के पर्यटन पर अब प्राकृतिक आपदा की मार पड़ी है। जिले में कोरोना के बावजूद हजारों पर्यटक सैर सपाटे के लिए पर्यटन स्थलों पर पहुंच रहे थे। जुलाई और अगस्त माह में जगह- जगह पहाड़ियों के दरकने से सैलानियों ने अपने कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है।

पर्यटन नगरी मनाली में हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम (HPTDC) के भी अधिकतर होटल खाली चल रहे हैं। खासकर अगस्त से निगम के होटल की ऑक्यूपेंसी में कमी आई है। जिला कुल्लू में करीब 3000 होटल, होम स्टे, रेस्ट हाउस व रिसोर्ट हैं। इनमें से 75 फीसदी खाली चल रहे हैं।

मनाली होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनूप ठाकुर कहते हैं कि मनाली में पर्यटक नाममात्र पहुंच रहा है। अधिकतर होटल- होम स्टे खाली चल रहे हैं। प्राकृतिक आपदाओं के चलते इस वर्ष भी मनाली में पर्यटन कारोबार कम हुआ है। कारोबारियों के नुक्सान का यह लगातार तीसरा वर्ष है।

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मणिकर्ण वैली होटल एसोसिएशन के प्रधान किशन ठाकुर ने कहा कि असमय ही पर्यटकों के बिना मणिकर्ण घाटी सुनसान पड़ी है। रूटीन का पर्यटक भी नहीं पहुंच रहा है। कुछ होटलों में एक-दो कमरे लग रहे हैं, जिनकी काफी पहले बुकिंग हुई थी। कोरोना काल में कारोबारियों की चिंता बढ़ गई है।

जीभी वैली टूरिज्म डेवलपमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित ने कहा कि सैलानियों से गुलजार रहने वाली जिभी घाटी में पांच फीसदी से भी कम ऑक्यूपेंसी चल रही है। घाटी के अन्य पर्यटन स्थलों पर भी सन्नाटा पसर गया है। इसमें प्राकृतिक आपदा का भी असर है।

तीर्थन कंजरवेशन एंड टूरिज्म डेवलपमेंट एसोसिएशन के प्रधान वरुण भारती कहते हैं कि अभी पूरी घाटी सैलानियों के बिना खाली है, लेकिन सितंबर माह के लिए ऑनलाइन बुकिंग हो रही है। पिछले दिनों आई प्राकृतिक आपदा से पर्यटन को नुकसान पहुंचा है।

तीर्थन घाटी के होटलियर महेंद्र चौहान ने कहा कि कोरोना से पर्यटन कारोबार को बड़ा झटका लगा है। जून माह में घाटी में पर्यटन गतिविधियों में उछाल आया था, लेकिन जुलाई से लेकर अब तक होटल व होम स्टे खाली पड़ गए हैं।

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पर्यटन कारोबारी संदीप कंवर ने कहा कि जिभी घाटी के साथ सोझा, जलोड़ी दर्रा में इक्का-दुक्का सैलानी ही नजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बरसात में पर्यटन में कमी आती है, लेकिन इस बार तो कारोबार शून्य ही हो गया है। ऐसा पहले नहीं होता था।

मनाली में रोजाना सैलानियों की संख्या में कमी दर्ज की जा रही है। मनाली स्थित ग्रीन टैक्स बैरियर में बाहर से आने वाले पर्यटन वाहनों का पंजीकरण किया जाता है। पिछले सप्ताह मनाली में करीब 200 वाहन पहुंच रहे थे, लेकिन सैलानियों के लिए जरूरी की गई आरटीपीसीआर या वैक्सीनेशन रिपोर्ट के चलते पर्यटकों में कमी आई है। अब प्रतिदिन 150 वाहन आ रहे हैं।

कुल्लू-मनाली में पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आने से प्रदेश की सबसे बड़ी हिम आंचल टैक्सी ऑपरेटर यूनियन मनाली समेत कुल्लू, भुंतर, बंजार व सैंज में 6000 के करीब टैक्सियां सड़कों पर खड़ी हो गई हैं। हिम आंचल टैक्सी ऑपरेटर यूनियन मनाली के महासचिव संदीप ने कहा कि काम नहीं होने से टैक्सी ऑपरेटरों की चिंता बढ़ गई है।

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एचएनपी सर्विस

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