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नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल 28 दिसंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उनके साथ मंत्रिमंडल में उनके छह सहयोगी भी शपथ लेंगे। अरविंद केजरीवाल ने यह भी घोषणा कर दी है कि सरकार के गठन के बाद से ही दिल्ली की जनता को मुफ्त पानी देने की योजना लागू हो जाएगी।
दूसरी ओर दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से पहले ही उसे कांग्रेस के समर्थन पर बयानबाज़ी तेज़ हो रही है। आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि दिल्ली में सरकार बनाने के लिए उनका कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं हुआ है। इसलिए कांग्रेस जब चाहे आम आदमी पार्टी की सरकार से समर्थन वापस ले सकती है। दिल्ली में मुख्यमंत्री का पद संभालने जा रहे अरविंद केजरीवाल ने भी इसी तरह की बात की है। उन्होंने कहा कि जिन 18 मुद्दों को उनकी पार्टी ने कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी को भेजे ख़त में उठाया था उन्हें विधानसभा में रखा जाएगा, जो विधायक इन पर समर्थन देने चाहते हैं, वो सामने आएं। इन मुद्दों में वीआईपी कल्चर बंद करना, जनलोकपाल बिल पारित करना, दिल्ली में ‘स्वराज’ की स्थापना, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा, महिलाओं को सुरक्षा के लिए विशेष बल बनाना और झुग्गी बस्तियों में रहने वालों को पक्के मकान देना जैसी बातें शामिल हैं। केजरीवाल ने कहा, “हमारा न किसी से गठबंधन है और न किसी से बातचीत हुई है। जो दिल्ली का विधायक हमें समर्थन देना चाहता है, वो साथ आए।”
इससे पहले कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी ने मंगलवार को कहा कि आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की बात पर कांग्रेस में मतभेद है। उनका कहना था कि कुछ लोगों का ख़्याल है कि समर्थन देना सही नहीं है। उधर, आम आदमी पार्टी के सरकार बनाने के दावे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता शीला दीक्षित ने बयान दे दिया कि आप को समर्थन बिना शर्त नहीं है।
स्वराज और लोकपाल के मुद्दे पर केजरीवाल ने कहा, “ये मुद्दा बड़ा ही दिलचस्प है, संविधान में लिखा है कि दिल्ली सरकार कानून बना सकती है. लेकिन अब मुझे बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने कोई आदेश जारी किया है कि अगर दिल्ली सरकार कोई कानून पारित करेगी तो उसे केंद्र सरकार की अनुमति लेनी होगी. ये आदेश तो गलत है. इस बारे में हम बात कर रहे हैं।”
इसके बाद ही ये अटकलें शुरू हो गई हैं कि कांग्रेस के समर्थन से बन रही सरकार कितने दिन चल पाएगी और क्या केजरीवाल सरकार वो सब वादे पूरा कर पाएगी जो उसने जनता से किए हैं – मसलन बिजली की दर कम करना। विश्लेषक कह रहे हैं कि बिजली की दर कम करने का मतलब होगा कांग्रेस के फैसले पर सवाल, क्योंकि बिजली की दरें तो पिछली हुकूत की रज़ामंदी से ही बढ़ी थीं।
आम आदमी पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में 28 सीटें मिली हैं जबकि बीजेपी को 31 और कांग्रेस को आठ सीटें मिलीं हैं। एक सीट बीजेपी की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल को, एक जनता दल यूनाइटेड को और एक निर्दलीय के पास गई है। बीजेपी ने बहुमत नहीं होने की बात कहते हुए सरकार बनाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने आम आदमी पार्टी को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान किया। तब ‘आप’ ने इस बारे में जनता से राय लेने के बाद अल्पमत की सरकार बनाने का फ़ैसला किया है।