शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने अदालत की फटकार के बाद अंततः सांसद अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाली एचपीसीए की संपत्तियां लौटाने का निर्णय
राज्य कैबिनेट ने गत 26 अक्तूबर की रात को एचपीसीए की पांच लीज एक ही आर्डर से रद्द कर दी थी। इनमें धर्मशाला स्टेडियम और पवेलियन, नादौन का अमतर मैदान, शिमला की लालपानी अकेडमी और गुम्मा के मैदान की लीज शामिल थे। सरकार के आदेश पर उपायुक्त कांगड़ा ने आदेश जारी कर रात को ही धर्मशाला स्टेडियम का ताला तोड़कर कब्जा ले लिया था।
सरकार की इस कार्रवाई के खिलाफ एचपीसीए ने 30 अक्तूबर को हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस की सुनवाई 5 नवंबर को हुई। एचपीसीए ने अदालत में दलील दी थी कि राज्य सरकार ने उसकी बात सुने बिना एकतरफा कार्रवाई करते हुए रात को ताले तोड़ कर संपत्तियां हथियाई हैं। बहस के दौरान खंडपीठ ने सरकार से सीधा सवाल किया कि कार्यपालिका को कौन सा कानून अनुमति देता है कि देर रात ताले तोड़कर कानून अपने हाथ में ले लिया जाए। मुख्य न्यायाधीश एम खानविलकर और न्यायाधीश कुलदीप सिंह की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी है कि 26 अक्तूबर से पहले की स्थिति बहाल की जाए। 26 अक्तूबर 2013 का फैसला गैरकानूनी और कार्यपालिका (राज्य सरकार) द्वारा तानाशाही पूर्ण तरीके से किया गया है। आदेश मध्य रात्रि को पारित हुआ और कैबिनेट 10,30 बजे खत्म हुई। एचपीसीए के वैध कब्जे को हटाते समय कार्यपालिका ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया, जबकि अतिक्रमण को भी पूरी कानूनी प्रक्रिया से हटाए जाने का प्रावधान है।’’
अदालत के इस आदेश पर सरकार ने तुरंत एचपीसीए की उक्त संपत्तियों से अपना कब्जा हटा लिया था और अब सोमवार को मंत्रिमंडल में फैसला लेकर सरकार ने अपने विवादित फैसले को वापस ही ले लिया है।
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