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शातिरों के जबड़े से छीन लाए अपने हिस्से की सब्सिडी

मंडी। संसदीय चुनाव से ठीक पहले देश भर में रसोई गैस की सब्सिडी सीधे उपभोक्ताओं के खाते में डालने के नाम पर हुई

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अरबों रुपये लूट के बावजूद मंडी के एक जागरूक उपभोक्ता बुधवार को अपने हिस्से की सब्सिडी प्राप्त करने में कामयाब हो गए। डा. चिरंजीत सिंह परमार की यह कामयाबी उन लाखों उपभोक्ताओं के लिए एक मिसाल बन गई है, जिनके हिस्से की रसोई गैस की सब्सिडी शातिर एजेंसियां बीच में ही हड़प कर गईं और सरकार ने भी इस मामले में कुछ नहीं किया।   

डा. चिरंजीत सिंह परमार (75) ने 19 दिसंबर 2013 को मंडी की राव गैस एजेंसी में सिलेंडर बुक करवाया था, जो जनवरी 2014 में उन्हें हासिल हुआ। मगर अन्य लाखों उपभोक्ताओं की तरह सिलेंडर की सब्सिडी उनके खाते में नहीं आई। जब कई दिन तक उनके खाते में सबसिडी नहीं आई तो उन्होंने राव गैस एजेंसी के कार्यालय में जाकर पता किया। वहां उन्हें बताया गया कि उनका आधार कार्ड गलत दर्ज हो जाने के कारण उनकी सबसिडी दूसरे के खाते में चली गई है।

डॉ. परमार ने पत्रकारों को बताया कि वे कम से कम 6 बार गैस एजेंसी गए, मगर हर बार उन्हें टरका दिया गया। इस पर उन्होंने इंटरनेट पर इंडियन आयल कारपोरेशन से शिकायत की तो उन्हें इसका डोकेट नंबर आदि हासिल हो गया तथा उन्हें आगे की प्रक्रिया भी समझाई गई। इस पर डा. परमार ने मई 2014 को एजेंसी को नोटिस भेजा, मगर उसका कोई भी जवाब एजेंसी ने नहीं दिया। उसके बाद उन्होंने स्वयं उपभोक्ता फोरम के कार्यालय में जाकर शिकायत दर्ज करवा दी। जून में इसकी पहली पेशी थी और आज 16 जुलाई को दूसरी पेशी हुई।

डा. परमार ने बताया कि बुधवार सुबह के समय जब पेशी शुरू हुई तो गैस एजेंसी की ओर से कोई नहीं आया। इस पर फोरम के अध्यक्ष ने एक तरफा फैसला देने की बात कही। मगर इसके लिए नियमानुसार दोपहर बाद तक दूसरे पक्ष का इंतजार करना था। दोपहर बाद 3 बजे जब पेशी शुरू हुई तो गैस एजेंसी की ओर से भी प्रतिनिधि आ गए। पहले तो उन्होंने कई तर्क- वितर्क किए, मगर बाद में यह तय हुआ कि वे इस सब्सिडी को अभी नकद रूप से डॉ. परमार को दे देंगे। हर्जाना समेत मामला 2000 रुपये में तय हुआ और उन्हें तत्काल रूप से यह रकम अदा कर दी गई। डा. परमार की यह जीत उपभोक्ताओं के लिए अपने आप में एक मिसाल बन गई है।

डॉ. परमार का कहना है कि बात महज कुछ सौ रुपये की नहीं थी, बल्कि यह तो मान सम्मान और अपने हक का मामला था। उन्होंने कहा कि वे एजेंसी के व्यवहार से दुखी थे और महसूस कर रहे थे कि देश में करोड़ों उपभोक्ताओं को यही सब झेलना पड़ रहा होगा। इसलिए उन्होंने ठान ली कि वे अपनी लड़ाई अंतिम छोर तक लड़ेंगे। उनका कहना था कि इस तरह के मामलों में उपभोक्ताओं का हार मान कर चुप बैठ जाना ही शातिर तत्वों को अपने मंसूबे अंजाम देने के लिए सुनहरा अवसर प्रदान करता है। इसलिए उपभोक्ताओं की जागरूकता बहुत जरूरी है।

एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

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