बिलासपुर। संसदीय चुनाव के प्रचार में एक ओर जहां नेतागण बड़े-बड़े वादों और दावों की झड़ी
वाटरगार्ड संघ के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने बताया कि प्रदेश में इस समय 4200 वाटरगार्ड मानदेय के लिए सरकार की ओर टकटकी लगाए हुए हैं। गांवों में सिंचाई एवं पेयजल योजनाओं में तैनात वाटरगार्डों को 1650 रुपये मासिक मानदेय दिया जाता है। उनके लिए चार घंटे की ड्यूटी निर्धारित है, लेकिन अधिकांशत: उनसे सारा-सारा दिन काम लिया जाता है। ओवर टाइम का कोई हिसाब किताब नहीं है। उसके बावजूद मानदेय समय पर नहीं दिया जाता।
जिला के बरठीं में वाटरगार्ड ज्ञान चंद, भूपेंद्र सिंह, राज कुमार, मुकेश कुमार, नरेंद्र कुमार, सोमा देवी, अशोक कुमार, अश्वनी कुमार, जयसिंह, सुरेश कुमार, रत्न चंद और पंकज कुमार आदि ने मीडिया को बताया कि पिछले छह माह से मानदेय नहीं मिलने के कारण उन्हें भारी आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है। अब तो दुकानदारों ने भी उधार देना बंद कर दिया है। उनके लिए स्कूलों में बच्चों का दाखिला करवाना भी मुश्किल हो गया है। उन्होंने सरकार से मांग की कि उनके मानदेय का भुगतान शीघ्र किया जाए।
बरठीं में आईपीएच विभाग के सहायक अभियंता देवराज चौहान से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि वाटरगार्डों के बिल बनाकर भेज दिए गए हैं। स्वीकृति मिलने पर मानदेय की अदायगी हो जाएगी।
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