नाहन। चुनाव प्रचार चरमोत्कर्ष पर था। पब्लिक राजनीतिक दलों की उछलकूद का मजा ले रही थी। उम्मीदवार मतदाताओं को रिझाने के लिए अनैतिकता की हदें लांघ रहे थे। अधिकांश मीडिया ‘पेड न्यूज टुडे’ में बदल चुका था। नाहन में मीडिया के एक जागरूक पक्ष ने कुछ जिम्मेदारी से काम लेना चाहा तो भाजपा कार्यकर्ताओं ने पीट- पीट कर उन्हें सीधा कर दिया। पत्रकार मदद के लिए थाने गए तो वहां थाना प्रभारी बिगड़ते हुए बोले- ‘तुम साले पत्रकार हो ही जुत्ती खाने लायक।’
हिमाचल प्रदेश में मतदान से एक दिन भाजपा- कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मध्य तीखी झड़पें, तोड़फोड़ और गाड़ियां फूंकने की घटनाएं हुईं, लेकिन उन्हें मीडिया में कोई खबर नहीं छपी। सबसे अधिक शर्मनाक तो यह कि तथाकथित मेनस्ट्रीम माडिया ने हरियाणा से चुनाव कवर करने आए पत्रकारों गौरव सगवाल और चंद्र मौली शर्मा के साथ हुई मारपीट की खबर तक को स्थान नहीं दिया।
गौरव सगवाल ने अपनी फेसबुक वॉल में आपबीती बयान की हैः
“शायद अब मैं हिमाचल कभी जाऊं….जी हां, हम और हमारी टीम लगातार पिछले एक महीने से डीपीआर से आज्ञा लेकर चुनावी कवरेज पर थे। सब कुछ अच्छा जा रहा था, हिमाचल को बेहद करीब से देखा, जैसा सुना वैसा लगा भी, पर शायद मैं किसी भ्रम में ही था या शायद कोई बुरा सपना जो परसों रात टूट गया।
हम पांवटा साहिब में राहुल गांधी की रैली कवर कर के नाहन के लिए निकले, क्योंकि वहां भी सीएम वीरभद्र सिंह की एक रैली थी। इसी दौरान हमें स्थानीय लोगों से पता चला कि यहां रात को खूब शराब बंटती हैं। हमने तय किया कि यदि यह सही है तो हम इसे जरूर बेनकाब करेंगे।
मेरे जीवन की सबसे काली रात में से एक थी 7 नवंम्बर की रात। शाम को 5 बजे प्रचार थमने वाला था, जैसे ही शाम हुई हमने वाकई वहां शरेआम चुनाव आयोग की धज्जियां उड़ती देखी। भाजपा कार्यालय में शराब का वितरण हो रहा था। ग्रामीण लोगों को पर्चियां दी जा रही थीं। वे एक निजी होटल में पर्ची दिखाकर शराब ले रहे थे।
मैं और मेरे सर चंद्र मौली शर्मा ने जैसे पूरा माहौल देखा और कुछ हिला देने वाले विजुवल हमारे हाथ लगे। हम भी हिल गए कि शराब की इतनी बड़ी खेप!
हमारे हाथ इतना मैटीरियल लग चुका था कि उसे चैनल पर चला सकें। उसके साथ हमें भाजपा प्रत्याशी नाहन राजीव बिंदल का पक्ष भी जानना था। हमने भाजपा के मीडिया सलाहकार से समय मांगा कि एक बाईट चाहिए तो भाजपा प्रत्याशी ने हमारी टीम को ऑफिस में बाईट लेने का समय दिया। जैसे ही हमने बिंदल जी से कहा कि आपके यहां इस तरह शराब कैसे बंट रही है? तो भाजपा प्रत्याशी वहां से निकल पड़े और उनके जाने के करीब 2- 3 मिनट बाद वहां मौजूद सभी भाजपा कार्यकर्ता हम पर टूट पड़े। हमसे खूब मारपीट की गई।
हमने #Mob_lynching को आज तक सिर्फ टीवी पर देखा था, शिकार पहली बार हुए। जैसे ही हमारे साथ छिना- झपटी हुई तो उन्होंने सबसे पहले हमारा कैमरा छीना और मुझे अंदर खींचने लगे। जैसे ही मेरे सर चंद्र मौली जी बीच बचाव को आये तो उनको वे पकड़कर भाजपा कार्यालय में ले जाने लगे। तभी सर ने कहा कि भाग और S.P को फोन कर… मैंने फोन किया तो पुलिश 1 घंटे बाद आकर उल्टा हमें ही पकड़ कर थाने गई।
युद्धवीर सिंग थाना प्रभारी गुन्नूघाट (नाहन) थाने ले जाकर कहते हैं, “तुम साले पत्रकार हो ही जुत्ती खाने लायक” और भी न जाने क्या-क्या उन्होंने कहा। … हमारा मेडिकल में भी जानबूझ तुरंत कराने के बजाए अगले दिन की शाम को किया गया।
हमने सहन बहुत किया, कुछ लोकल पत्रकारों ने काफी सहायता की। उसके बाद हमें फोन पर एफआईआर वापिस लेने के लिए दबाव डाला गया। मैं तो टूट चुका था, पर सर की हिम्मत से संघी और भाजपा के गुंड़ों से लड़ाई जारी हैं। .. जो सहा सब लिखना चाहता हूं, पर हिम्मत नहीं है अब…।”