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सामुहिक मुंडन से मिली सड़क को मंजूरी

धर्मशाला। ग्रामीणों का सड़क के लिए वर्षों से चला आ रहा संघर्ष जब धरना प्रदर्शन, आमरण अनशन, सामुहिक मुंडन से भी आगे बढ़ कर आत्महत्या तक पहुंचने को हुआ तो अंततः सत्ता को घुटने टेकने पड़े। फिर तो सड़क की राह में गिनाए जा रहे तमाम रोड़े एकाएक हट गए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की मंजूरी मिलने की घोषणा भी कर दी गई, बजट का रोना भी थम गया। ग्रामीण अब राहत महसूस कर रहे हैं। उन्हें भरोसा है कि उनका वर्षों पुराना संघर्ष कामयाब हो गया है।

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मामला यहां साथ लगते शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत धारकंडी क्षेत्र का है। लोग लंबे अरसे से बरनेट- घेरा क्षतिग्रस्त सड़क के निर्माण के लिए संघर्ष कर रहे थे। गत जुलाई माह में भारी वर्षा से सड़क की रही सही कसर भी खत्म हो गई  तो  लोग परेशान हो उठे।

धारकंड़ी क्षेत्र की पंचायतों के लोगों ने अपनी मांग को लेकर गत 12 अगस्त को धर्मशाला में जिलाधीश कार्यालय के सामने क्रमिक अनशन शुरू किया था। इसके साथ ही उन्होंने जिला प्रशासन को सड़क बनाने की मंजूरी के लिए तीन दिन का अल्टीमेटम भी दिया था, जिसकी अवधि पूरी होने पर 15 अगस्त सायं से ग्रामीणों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया।

जिला प्रशासन ने आंदोलनकारियों को समझाने की बहुत कोशिश की। उन्हें शीघ्र मंजूरी दिलवाने का आश्वासन भी दिया गया, लेकिन ग्रामीण नहीं माने। इसी दौरान क्षेत्र के 100 से अधिक युवाओं ने रोष में मौके पर ही सामुहिक रूप से अपने सिर मुंडवा लिए। इसके बाद ग्रामीणों ने घोषणा की कि यदि उनकी मांग तुरंत नहीं मानी गई तो वे आत्मदाह कर लेंगे।

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मामला बढ़ता देख अंततः सोमवार को एसडीएम धर्मशाला डॉ. हरीश गज्जू ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को मंत्रालय से बनरेट से घेरा सड़क की एफसीए मंजूरी मिलने की जानकारी दी और शीघ्र ही इसकी कॉपी आने की बात भी कही। शाम को एफसीए की मंजूरी की कॉपी हाथ आने के बाद ही ग्रामीणों ने अपना अनशन तोड़ा।

आमरण अनशन पर बैठे भड़ियाड़ा वार्ड के जिला परिषद सदस्य जोगिंद्र सिंह पंकू ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सड़क को लेकर नेताओं के कोरे आश्वासनों से तंग आकर ही धारकंडी क्षेत्र की जनता को यह आंदोलन शुरू करना पड़ा। उन्होंने बताया कि गत जुलाई माह में भारी बारिश के कारण क्षेत्र की आधा दर्जन के अधिक पंचायतों की जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली घेरा सड़क कैंट नाला के पास करीब सौ मीटर बह गई। अब लोगों को करीब 15 से 20 किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ रहा है। बीमार और गर्भवती महिलाओं को पालकी में बैठाकर लाना पड़ रहा है। बार- बार आग्रह के बावजूद सरकार और प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। अंततः थकहार कर लोगों को आर पार के संघर्ष को मजबूर होना पड़ा।

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उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने गत 4 अगस्त को भी  गांधी वाटिका धर्मशाला से उपायुक्त कार्यालय तक रोष रैली निकालकर प्रशासन को सात दिन को अल्टीमेटम दिया था, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

रावा खड़ीबेही के प्रधान अर्जुन सिंह ने बरनेट – घेरा सड़क को एफसीए की मंजूरी मिलने पर प्रशासन का आभार जताया और कहा कि यह सड़क बन जाने पर लोगों को काफी राहत मिलेगी।

 उपमंडल अधिकारी डॉ. हरीश गज्जू ने कहा कि धारकंडी क्षेत्र को जाने वाली सड़क की हालत बहुत खस्ता है। इसे दोबारा बनाने में कम से कम दो- तीन माह लगेंगे। उन्होंने कहा कि बनरेट- घेरा सड़क के के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की मंजूरी की कॉपी मिलने पर ग्रामीणों ने अपना अनशन समाप्त कर दिया है।  

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एचएनपी सर्विस

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