गोपेश्वर (चमोली)। पहाड़ी संस्कृति में देव आस्था का बहुत महत्व है। पहाड़ों में देवी देवताओं के हजारों मंदिर हैं और पहाड़ीजनों
हर वर्ष दिसंबर माह में इस मंदिर में सती मां अनुसूया का मेला लगता है। इस दौरान रात्रि जागरण के समय पंजीकृत नि:संतान दंपत्तियों को माता के दरबार में तप के लिए बैठाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से माता की कृपा से उनकी गोद भर जाती है। इस वर्ष यह मेला 16 -17 दिसंबर को आयोजित किया जा रहा है, जिसके लिए मंदिर समिति ने निःसंतान दंपत्तियों की रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अभी तक 20 लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है। इनमें उत्तराखंड के अलावा दिल्ली, मुंबई और पंजाब के दंपत्ति भी शामिल हैं।
सती मां अनुसूया देवी मंदिर समिति के अध्यक्ष कुंवर सिंह नेगी ने मीडिया को बताया कि दिल्ली, मुंबई, पंजाब के अलावा उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों से दूरभाष पर 20 लोगों ने रात्रि जागरण के लिए समिति में रजिस्ट्रेशन करा लिया है। रजिस्ट्रेशन की यह प्रक्रिया मेला आरंभ होने तक चलेगी। लोक मान्यता है कि जब त्रिदेव सती मां अनुसूया के सतित्व की परीक्षा लेने इस मंदिर में आए थे तो सती मां अनुसूया ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश को अपना स्तनपान कराया था।
कुंवर सिंह नेगी कहते हैं कि मेले के दौरान रात्रि जागरण के समय नि:संतान दंपतियों को अनुसूया माता के दरबार अर्थात् मंदिर प्रांगण में बैठाया जाता है। रात्रि जागरण के दौरान नींद के झोंके में उन्हें सपना आता है, जिसमें अनुसूया माता उन्हें दर्शन देती हैं। मान्यता है कि आने वाले समय में ऐसे दंपत्तियों की गोद भर जाती है।