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‘रेड बार्टलट’ ने बदली तकदीर, हजारों टन उत्पादन

कुल्लू। कभी सेब उत्पादन के लिए विख्यात कुल्लू की घाटियां अब बदलते जलवायु परिवेश में नाशपाती, अनार और

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प्लम आदि फलों के उत्पादन को बढ़ावा देने लगी हैं। सेब के मुकाबले काफी कम लागत वाले इन फल बागीचों से बागवानों को आकर्षक आमदनी प्राप्त हो रही है। यहां कुछ क्षेत्रों में तो नाशपाती का हजारों टनों के हिसाब से उत्पादन हो रहा है।

घाटी में वैसे तो नाशपाती की कई किस्में प्रचलित हैं, परन्तु रेड बार्टलट किस्म का कोई जवाब नहीं। रेड वार्टलट के लिए कुल्लू की आबोहवा काफी रास आ रही है। इस किस्म की नाशपाती आकार व रंग में आकर्षक तथा स्वाद में दूसरी किस्म की नाशपातियों से ज्यादा स्वादिष्ट होती है। इतना ही नहीं मार्किट में यह नाशपाती सेब से पहले पहुंचने के कारण इसे अकसर सेब से भी ज्यादा दाम मिल जाते हैं।

बार्टलेट किस्म की नाशपाती हींग लगे न पिटकरी, रंग भी जमे चोखाकी कहावत को चरितार्थ करती प्रतीत होती है। इसका कारण यह है कि इस प्रजाति के लिये किसी समतल खेत की जरूरत नहीं पड़ती। जमीन की मेढ़ों में, खाली या बंजर जमीन पर उगे जंगली कैंथ पर
बार्टलट की कलम कर पौधा तैयार किया जाता है। पांच से छह वर्ष में पेड़ फल देने लगता है। बार्टलट की विशेषता यह है कि इसमें बहुत अधिक खाद, निड़ाई-गुड़ाई, स्प्रे, प्रूनिंग आदि की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसका पेड़ एक सीमा तक बढ़कर ऐसी आकृति ले लेता है जिसमें काट-छांट की आवश्यकता ही नहीं रहती। पूरा पेड़ लगभग चार क्विंटल तक फल देता है।

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खराहल क्षेत्र में हजारों टन उत्पादनः एक समय था जब कुल्लू शहर के बायीं ओर का खराहल क्षेत्र काफी पिछड़ा इलाका माना जाता था। ढलानदार जमीन और पानी के अभाव के कारण सब कुछ वर्षा पर ही निर्भर था। सेब की फसल भी यहां ठीक से कामयाब नहीं हो पाई। ऐसे में रेड बार्टलट नाशपाती इस इलाके के लिये वरदान साबित हुई। खराहल क्षेत्र में जंगली कैंथ के पौधे हर ओर पाए जाते हैं, जिन पर कलम कर नाशपाती के पौधे तैयार किए जाते हैं। तीन पंचायतों पर आधारित इस क्षेत्र की अब काया पलट हो गई है। इस क्षेत्र में एक अनुमान से लगभग 10 हजार टन बार्टलट का उत्पादन हो रहा है। घराकड़ गांव के आसपास सर्वाधिक बार्टलट नाशपाती पैदा हो रही है। बार्टलट की तुड़ाई और बिक्री का काम रॉयल डिलिशियस सेब पकने से पहले पूरा हो जाता है। इस किस्म की नाशपाती की सबसे बड़ी कमी यह है कि इसे जल्दी से जल्दी मार्किट में भेजना पड़ता है। इसे ज्यादा समय तक स्टोर नहीं किया जा सकता ।

कुल्लू में रेड वार्टलट नाशपाती जुलाई में पक कर तैयार हो जाती है। रेड बार्टलट के अतिरिक्त बागवान यहां प्लेन बार्टलट, मैक्स-रेड-बार्टलट, कानफ्रेंस, स्टार्किंग डिलिशियस, स्टार क्रिमसन और डा. प्यूल्स गूयो नामक सुधरी किस्मों की नाशपातियां भी उगा रहे हैं, लेकिन रेड बार्टलट अभी भी पहली पसंद बनी हुई है।

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एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

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