…और आशा कुमारी की हालत तो यह है कि वो यह कह कर लौट भी नहीं सकतीं कि उन पर लगे दाग के कारण चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके लिए उन्हें कोई और बहाना बनाना पड़ेगा। वैसे आशा कुमारी का रिकार्ड भी है कि उन्हें जिस भी प्रदेश का चुनाव प्रभारी या सह प्रभारी बनाया, वहां कांग्रेस की पराजय ही हुई।
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चंबा। कांग्रेस ने पंजाब के मामले में तो लगता है जैसे हाथ ही खड़े कर दिए हैं। कमलनाथ के बेरंग लौटने के बाद पार्टी ने अब अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की सचिव एवं डलहौज़ी की विधायक आशा कुमारी को विधानसभा चुनाव के लिए पंजाब का प्रभारी बना दिया है। कमलनाथ पर 1984 के सिख विरोधी दंगों के दाग थे, तो आशा कुमारी डलहौज़ी में लैंड ग्रैब केस (भूमि हड़पने के मामले) में जमानत पर चल रही हैं। यह स्थिति उस समय है जब पंजाब में चुनाव के लिए अब कुछ ही माह शेष बचे हैं। क्या कांग्रेस के पास पंजाब का प्रभारी बनाने के लिए कोई बेदाग चेहरा बचा ही नहीं है?
आशा कुमारी को डलहौजी में साजिशन भूमि हड़पने के एक मामले में गत फरवरी माह में ही चंबा की सेशन कोर्ट ने दोषी करार दिया था और उन्हें एक साल की सजा भी सुनाई गयी थी। फिलहाल वे जमानत पर हैं और कभी भी जेल जा सकती हैं। वर्ष 2005 में इसी केस के कारण उन्हें प्रदेश में शिक्षा मंत्री का पद भी गंवाना पड़ा था।
कांग्रेस ने आश्चर्यजनक रूप से एक ऐसी महिला को पंजाब का प्रभारी बना दिया, जिस पर अदालत में दोष साबित हो गए हैं। इससे राजनीतिक गलियारों की उन चर्चाओं को भी और बल मिल रहा है कि कांग्रेस पंजाब को लेकर घोर हताशा में चल रही है। उसके लिए वहां कोई उम्मीद नहीं बची है। वह एक हारी हुई बाजी में मात्र औपचारिकता निभाने के लिए खेल रही है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने इससे पूर्व वरिष्ठ नेता कमलनाथ को पंजाब का चुनाव प्रभारी बनाया था। राज्य में पार्टी की हालात का जायजा लेने के बाद वे बेरंग लौट आए यह कहते हुए कि उन पर 1984 के दंगों के आरोप होने के कारण चुनाव में इसका विपरीत असर पड़ेगा। लेकिन कांग्रेस ने इससे कोई सबक नहीं सीखा और एक अन्य दागदार आशा कुमारी के सर पंजाब का प्रभार मढ़ दिया। …और आशा की हालत तो यह है कि वो यह कह कर लौट भी नहीं सकतीं कि उन पर लगे दाग के कारण चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके लिए उन्हें कोई और बहाना बनाना पड़ेगा। वैसे आशा कुमारी का रिकार्ड भी है कि उन्हें जिस भी प्रदेश का चुनाव प्रभारी या सह प्रभारी बनाया, वहां कांग्रेस की पराजय ही हुई।
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