चंडीगढ़। पंजाब के करीब 23 लाख मजदूरों के लिए अच्छी खबर है। पहली बार उनको भी वर्गीकृत करने के साथ उनके प्रोमोशन की व्यवस्था की जा रही है। मजदूरों को अकुशल से सेमी कुशल, सेमी कुशल से कुशल और कुशल से उच्च कुशल की कैटेगरी में पदोन्नत करने के लिए समय सीमा निर्धारित की जा रही है। इसके अलावा पहली बार इन कैटेगरियों की परिभाषा भी तैयार की गई है। पंजाब राज्य मजदूर कल्याण बोर्ड ने इसे स्वीकार कर लिया है। अब राज्य सरकार को इस बारे में अंतिम फैसला लेना है।
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सूत्रों के अनुसार अब तक अकुशल मजदूर जिंदगी भर अकुशल ही माना जाता रहा है। बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार अकुशल मजदूर 3 साल काम करने के बाद सेमी कुशल मजदूर और सेमी कुशल मजदूर 4 साल बाद कुशल मजदूर के वर्ग में आ जाएगा। डिप्लोमा होल्डर मजदूर 5 साल काम करने के बाद उच्च कुशल वर्ग में प्रवेश कर जाएंगे। अगर इन्हें अगले वर्ग में पहुंचाने के लिए किसी ट्रेनिंग की जरूरत होगी तो ट्रेनिंग के दौरान फैक्टरी मालिक को संबंधित मजदूरों को वेतन का 75 फीसदी हिस्सा देना होगा।
अकुशल मजदूर को कम के कम 5200 रुपये प्रति माह मूल वेतन देने का प्रस्ताव किया गया है। इन सभी वर्गों के वेतन में कम से कम 20 फीसदी का अंतर रखने की सिफारिश की गई है।
अभी तक महंगाई बढऩे पर मजदूरों को 6 रुपये प्रति प्वाइंट के हिसाब से मिल रहे हैं। नए प्रस्ताव में इसे 9 रुपये प्रति प्वाइंट करने की योजना है। पहली बार यह भी सिफारिश की गई है कि हर मजदूर को सालाना इन्क्रीमेंट कम से कम पचास रुपये जरूर मिलने चाहिए।
श्रम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बोर्ड में उद्योगपतियों और मजदूर संगठनों के तीन-तीन सदस्य हैं। सभी ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव तैयार किया है। यदि राज्य सरकार इसे लागू करती है तो इससे राज्य के 23 लाख मजदूरों को लाभ मिलेगा।