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कुल्लू में अनार और जापानी फल की धमाकेदार एंट्री

कुल्लू। कुल्लू घाटी के जागरूक बगवानों ने सेब पर निर्भर रहने के बजाए मिश्रित बागवानी को अपनाना शुरू किया है, जिसके काफी अच्छे नतीजे भी सामने आने लगे हैं। घाटी के बागवान सेब के साथ- साथ अनार, जापानी फल, नाशपाती, प्लम और अन्य गुठलीदार फलों को भी खासा महत्व दे रहे हैं।

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आज जब सेब के दामों को लेकर पूरे प्रदेश के बागवान चिंतित हैं, कुल्लू के बागवानों को अनार और जापानी फल, जिसे परसीमन भी कहा जाता है, काफी राहत प्रदान कर रहे हैं। मार्किट में इन दिनों अनार और जापानी फल दोनों के ही अच्छे दाम मिल रहे हैं।

अनारः सेब सीजन की मायूसी के बीच कुल्लू की सब्जी एवं फल मंडियों में अनार धमाकेदार एंट्री हुई है। व्यापारी अनार को हाथोंहाथ खरीद रहे हैं। मृदुला किस्म का अनार मंडियों में 130 रुपये प्रति किलोग्राम तक में बिक रहा है। कंधारी अनार के बागवानों को 70 रुपये प्रति किलो तक दाम मिल रहे हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी अधिक है।

पिछले साल यह मृदुला अनार शुरूआत में 90 से 100 रुपये प्रति किलो तक बिका था। जिला कुल्लू के गड़सा, हुरला, थरास, भुंतर, खराहल, बंजार, सैंज आदि क्षेत्रों में अनार के अच्छे बागीचे तैयार हो गए हैं। यहां से काफी अनार निकलता है।

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बताया जा रहा है कि कोरोना काल के चलते भी पौष्टिक तत्वों से भरपूर अनार की मांग बढ़ रही है। कोरोना के कारण लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति काफी जागरूक हुए हैं, जिसके चलते मंडियों में अनार के बेहतर दाम मिल रहे हैं।

बागवान दिनेश कुमार शर्मा, अशोक, रेवत राम, विक्की, चेंहकू राम, बाला राम और रामकृष्ण ने कहा कि घाटी में सेब का सीजन लगभग अब समाप्त होने वाला है। अनार की फसल तैयार हो गई है। बागवान तैयार अनार को मंडियों में बेचने के लिए ला रहे हैं, जिसके उन्हें अच्छे दाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि शुरूआत में अनार के अच्छे दाम मिलने से इस बार आखिर तक मार्केट अच्छी रहने की उम्मीद है।

सब्जी मंडी भुंतर में आढ़ती यूनियन के अध्यक्ष खुशहाल ठाकुर ने कहा कि अनार अब मंडियों में आना शुरू हो गया है। कुछ दिनों में इसकी आमद में और वृद्धि होगी।। अभी तक बागवानों को अनार के पिछले वर्ष के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक दाम मिल रहे हैं।

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जापानी फलः जिला कुल्लू का लाल, रसीला, मीठा जापानी फल बाहरी राज्यों के व्यापारियों को खूब पसंद आ रहा है। आलम यह है कि बागीचों में पकने से पहले ही 50 फीसदी फसल का सौदा हो गया है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी के कई व्यापारियों ने बागीचों की अच्छे दामों पर खरीद की है।

बागवानों- केहर सिंह, राम नाथ, दुनी चंद ,चमन, सतीश तथा अनिश आदि ने बताया कि कुल्लू घाटी में अधिकतर जापानी फल का सौदा हो चुका है। उन्हें घर-द्वार पर ही उम्दा दाम मिल रहे हैं। घाटी में जापानी फल का उत्पादन अभी कम ही क्षेत्रों में हो रहा है। फूयू किस्म के फलों की बाजार में अधिक मांग है। व्यापारी भी इस वैरायटी को ज्यादा खरीद रहे हैं। व्यापारियों ने जापानी फलों को पक्षियों से बचाने के लिए पौधों पर स्वयं जालियां लगाई हैं।

बागवानी विशेषज्ञ डा. उत्तम पराशर कहते हैं कि कुल्लू जिला में बागवान जापानी फल को काफी तरजीह दे रहे हैं। यहां जापानी फल की मुख्य किस्में- फूयू और हेचिया उगाई जा रही हैं। फूयू प्रजाति के फलों की मंडियों में अधिक मांग रहती है, क्योंकि इसकी शेल्फ लाइफ भी ज्यादा है। बागवानी विभाग भी लोगों को जापानी फल के लिए प्रेरित कर रहा है।

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एचएनपी सर्विस

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