नई दिल्ली। राज्यसभा के बाद लोकपाल बिल लोकसभा में भी पारित हो गया है। इसके कानून बनने में अब सिर्फ़ राष्ट्रपति की
अन्ना हज़ारे ने बिल के पारित होने पर संसद के दोनों सदनों का आभार जताया। अनशन स्थल पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए अन्ना हज़ारे ने कहा कि देश में पहली बार भ्रष्टाचार पर रोक लगाने वाला बिल पास हुआ है। उन्होंने कहा कि लोकपाल बिल पारित हो जाने के बाद भी देश से सौ फ़ीसदी भ्रष्टाचार ख़त्म नहीं हो जाएगा। इससे केवल 50 फ़ीसदी भ्रष्टाचार ही खत्म होगा।
अन्ना ने लोकपाल बिल के लिए अन्य दलों का समर्थन जुटाने के लिए कांग्रेस और भाजपा का आभार जताया। उन्होंने मांग की कि लोकपाल बिल को देश में आचार संहिता लागू होने से पहले ही क़ानून का रूप दे दिया जाए, जिससे लोग भी यह जान सकें कि इसमें क्या-क्या प्रावधान है।
सामाजिक कार्यकर्ता से राजनेता बने अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी मौजूदा सरकारी लोकपाल बिल को बेहद कमज़ोर बताती रही है। उनका कहना है कि “इससे नेता तो छोड़िए, एक चूहे को भी जेल भेजा जा सकेगा।” इस मौके पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, “ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जारी लड़ाई को खत्म करें।”
सपा ने किया विरोधः एक तरफ़ जहां लोकसभा में लोकपाल बिल पर बहस चल रही थी तो दूसरी ओर समाजवादी पार्टी की ओर से इस बिल को लेकर कड़ी आलोचना सामने आई। पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा, “लोकतंत्र में आम आदमी का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग सर्वोपरि हैं। इस बिल में ऐसे प्रावधान हैं कि एक पुलिसवाला भी हमें परेशान कर सकता है। क्या मौजूदा कानून के अंतर्गत सांसदों और विधायकों को अपराधी साबित नहीं किया गया है?” मुलायम सिंह यादव ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लोकपाल बिल के खिलाफ़ बोलने को कहा।
अन्ना को श्रेयः वरिष्ठ भाजपा नेता और लोकसभा में पार्टी की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि इस लोकपाल का श्रेय अन्ना हज़ारे को जाना चाहिए। सुषमा स्वराज ने कहा, “लोग यहां श्रेय लेने के लिए लाइन लगाए खड़े हैं लेकिन एक ऐसा व्यक्ति भी है जो लोकपाल पर अनशन कर रहा है और सभी को सामूहिक रूप से जजगने को कह रहा है। इसके अलावा देश की जनता को भी इसके लिए श्रेय दिया जाना चाहिए।”
नए विधेयक के कुछ खास प्रावधानः लोकपाल से जुड़े मामले में सीबीआई लोकपाल के अधीन काम करेगी, सरकार लोकपाल की जांच से जुड़े सीबीआई अधिकारियों का ट्रांसफर नहीं कर सकेगी और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति का अधिकार राज्य विधानसभा के पास होगा। हालांकि उनके लिए एक साल के भीतर लोकायुक्त की नियुक्ति करना अनिवार्य है। इसके लिए केंद्रीय लोकपाल कानून को मॉडल कानून माना जाएगा। लोकपाल की नियुक्ति करने वाली समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में नेता विपक्ष, मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे। धार्मिक संस्थाओं को छोड़कर अन्य सभी ऐसी स्वयंसेवी संस्थाएं लोकपाल के दायरे में आएंगी, जिन्हें सरकारी मदद मिलती है। लोकपाल को हटाने का अधिकार सुप्रीमकोर्ट के पास होगा। समिति में 50 प्रतिशत सदस्य अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिला वर्ग से होंगे। प्रधानमंत्री लोकपाल के दायरे में हैं, हालांकि उनको लेकर शिकायतों के निपटान के लिए विशेष प्रक्रिया है। सभी श्रेणियों के सरकारी अधिकारी लोकपाल के दायरे में शामिल हैं और
इसमें तय समयसीमा के भीतर जांच का प्रावधान है।