हिमाचल में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में इस बार सियासत के कई नए पहलू सामने आये। इस बार पचास हज़ार से अधिक लोगों ने चुनाव लड़ा जो निश्चित तौर पर सियासत में लोगों की दिलचस्पी दिखाता है। इससे पहले इतनी बड़ी संख्या में कभी भी उमीदवार नहीं रहे। आलम ये था कि पालमपुर में तो एक जगह जीतने वाले प्रत्याशी की भी जमानत जब्त हुयी है क्योंकि उन्हें जो मत मिले वो बहुकोणीय मुकाबले के चलते इतने कम थे कि जमानत बचने के लिए तय मत प्रतिशत से भी कम निकले। ऐसे में ये भी रिकार्ड बना है कि जीतने वाले की ही जमानत जब्त हुयी हो। ऐसा भी बहुत जगह हुआ कि ननद-भाभी,
लेकिन इसी बीच आपसी सामंजस्य की एक नयी सरिता भी निकली है। राज्य में इस बार सवा सौ पंचायतें निर्विरोध चुनकर आई हैं। अधिकांश जगहों पर जहां पंच, प्रधान बनने की होड़ लोगों में दिखी और एक एक पद के लिए दर्जनों उमीदवार मैदान में थे, वहीं 114 पंचायतों ने निर्विरोध चयन कर एक मिसाल भी पेश की है। सबसे ज्यादा तीस निर्विरोध पंचायतें सिरमौर जिला में चुनी गयी हैं। यहां तक कि काज़ा ब्लॉक की 13 में से दस पंचायतें निर्विरोध चुनी गयी हैं। किन्नौर में भी 13 और सोलन में 11 पंचायतें निर्विरोध चुनी गयी हैं। अकेला बिलासपुर जिला ही एक ऐसा है, जहां 151 में से एक भी पंचायत निर्विरोध नहीं चुनी गयी। हालांकि इस मामले में सबसे अधिक पढ़े लिखे जिलों हमीरपुर और कांगड़ा का रिकार्ड भी ज्यादा अच्छा नहीं है। हमीरपुर में महज 2 और कांगड़ा में 4 पंचायतें ही निर्विरोध चुनी गयी हैं, जबकि कांगड़ा जिले में ही पूरे प्रदेश की पच्चीस फीसदी पंचायतें हैं।
हम ये कतई नहीं कहना चाह रहे कि जहां चुनाव हुआ है वहां सही नहीं हुआ।
हमारा मकसद सिर्फ ये रेखांकित करना है कि निर्विरोध चुनाव जहां गाँव के स्तर पर चुनावी कड़वाहट को पनपने नहीं देता, वहीं विकास के नजरिये से भी बेहतर है। सरकार ने पहले ही एलान किया था कि निर्विरोध चयन करने वाली पंचायतों को एकमुश्त दस दस लाख रुपये की राशि जारी की जाएगी। यही नहीं 14 वें वित्त आयोग के नियमों के अनुसार इन पंचायतों को 12 लाख तक के विकास कार्य अतिरिक्त आबंटित होंगे। दूसरे शब्दों में निर्विरोध चुनी गयी पंचायतों के पास बीस लाख से अधिक का विकास बजट अतिरिक्त होगा। इस लिहाज़ से देखा जाये तो ये बड़ी धनराशि है। कोई शक नहीं कि ऐसे में निर्विरोध चुनी गयी पंचायतें विकास के मामले में दूसरों से आगे रहेंगी। खैर उम्मीद की जनी चाहिए कि विकास का ये मन्त्र इस बार 114 पंचायतों की समझ आया, अगली बार इसमें और बढ़ोतरी होगी। आखिर मिलजुलकर रहना ही आगे बढ़ने का सर्वोत्तम तरीका है।