हरिद्वार। सरकारी कुव्यवस्था के चलते क्षेत्र की चीनी मिलें गन्ने के भुगतान पर कुंडली मारे बैठी हैं और किसान जहां-तहां से कर्ज लेकर किसी तरह काम चलाने को मजबूर हैं। कई किसानों ने ऋण लेकर बीज और खाद आदि खरीदे थे। अब बैंक वाले वसूली के लिए पीछे-पीछे घूम रहे हैं और गन्ना किसान छिपते फिर रहे हैं। किसानों का कहना है कि उनकी फसल का भुगतान नहीं किया जा रहा है और सरकार भी इस मामले में कोई कदम नहीं उठा रही।
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लालवाला खालसा गांव के किसान नकली सिंह ने बताया कि शुगर मिल पर उनका करीब डेढ़ लाख रुपया बकाया है। उसने बैंक और सहकारी समिति से खाद-बीज के लिए ऋण लिया था। अब दोनों ही ऋण अदायगी के लिए तकादा कर रहे हैं, लेकिन गन्ने का भुगतान नहीं होने के कारण वह लोन चुकता नहीं कर पा रहा है। यही स्थिति रही तो उसकी आरसी कट जाएगी।
टिकौला कलां गांव के किसान मदनपाल ने बताया कि उसका चीनी मिल पर गन्ना भुगतान का 92 हजार रुपये बकाया है। खेत में दो बोरिंग फेल हो गए हैं। इन्हें ठीक कराने के लिए 60-70 हजार रुपये चाहिए, लेकिन मिल पैसा नहीं दे रही है। बोरिंग खराब होने के चलते फसलें सूख रही हैं। यही हाल रहा तो धान की बुआई भी नहीं हो सकेगी।
टिकौला कलां गांव के किसान आदेश कुमार ने बताया कि उसने मकान बनाना शुरू किया था। उम्मीद थी कि गन्ना भुगतान से मकान का काम पूरा हो जाएगा। मिल पर 30 हजार रुपया बकाया है। मकान का काम बीच में ही रुक गया है। मिल भुगतान करे तो मकान बनेगा अन्यथा इस बार फिर बारिश में परिवार को आफत झेलनी पड़ेगी।
भारतीय किसान यूनियन के हरिद्वार जिला महासचिव महकार सिंह इस व्यवस्था पर तल्ख अंदाज में कहते हैं, ”दुकानदार अपना सामान बेचता है तो पहले नगद पैसा लेता है, लेकिन किसान का गन्ना उधार लिया जाता है और बाद में पैसा देने में भी आनाकानी की जाती है। यह व्यवस्था तुरंत बंद होनी चाहिए।”
उत्तराखंड के संयुक्त गन्ना आयुक्त डा. विनोद कुमार ने इस संबंध में पूछने पर कहा कि किसानों के बकाया भुगतान के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। यदि शीघ्र भुगतान नहीं हुआ तो गन्ना मंत्री के निर्देश पर मिलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।