देहरादून। राजधानी देहरादून में नव धनाढ्यों का एक तपका तेजी से श्वान प्रेमियों के रूप में अपनी पहचान बनाता जा रहा है।
जानकारों के आनुसार किसी भी अच्छी नस्ल के कुत्ते के खान-पान और रख-रखाव का खर्च उसकी कीमत से कहीं अधिक पड़ता है। यहां बाजार में कुत्तों के लिए तमाम तरह के उत्पाद उपलब्ध हैं। कुत्ते को सेहतमंद बनाए रखने के लिए टॉनिक से लेकर मल्टी विटामिन कैप्सूल तक मौजूद हैं। इनके शरीर के जोड़ मजबूत बनाने के लिए भी दवाएं हैं। शैंपू पुरानी बात हो चुकी है, बाजार में अब कोट कंडिशनर की डिमांड है। कुत्ते के कपड़ों से लेकर खिलौनों और साज सज्जा तक का सामान उपलब्ध है, उस पर विशेष डॉग फूड भी। यह धंधा किस कदर चोखा है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस समय उत्तराखंड में करीब 15 कंपनियां इस कारोबार से जुड़ी हैं, जिनका हर माह तकरीबन दो करोड़ का बिजनेस है। कंपनी पेट केयर के वेटनरी सेल्स ऑफिसर मुजफ्फर हसन खान कहते हैं कि उत्तराखंड में पंद्रह कंपनियां डॉग प्रोडक्ट के कारोबार से जुड़ी हैं, जिनका कारोबार डेढ़ से दो करोड़ सालाना है। इसमें सालाना अच्छी खासी वृद्धि दर्ज की जा रही है।
डॉग शोः दून वैली कैनल क्लब की ओर से सर्वे स्टेडियम में रविवार को डॉग शो का आयोजन किया गया। इसमें कोई कुत्ता अपनी खूबसूरती से आकर्षित कर रहा था तो किसी ने लंबाई से दिल जीता और कुछ अपनी गुर्राहट के कारण अलग पहचान रखते थे। डॉग शो का शुभारंभ नियोजन मंत्री दिनेश अग्रवाल ने किया। इसमें देशभर से 38 विभिन्न नस्लों के 289 कुत्तों ने भाग लिया। इनमें विदेशी नस्ल के कुत्ते भी थे और देशी भी। ऑल ब्रीड चैंपियनशिप में तो इनकी परख हुई ही, लैबरा, रॉटवीलर व बीगल की अलग प्रतियोगिता भी हुई। बॉडी वेट, लंबाई, ऊंचाई, स्वास्थ्य, सक्रियता समेत विभिन्न मानकों पर इन्हें परखा गया। इस शो में बोरजोई और ग्रेट डेन ने बाजी मारी।
22 लाख का बोरजोईः डॉग शो में 22 लाख रुपये का ‘बोरजोई’ नस्ल का कुत्ता हर किसी के आकर्षण का केंद्र बन गया। इस कुत्ते के मालिक उदयपुर निवासी उत्कर्ष राठौर होटल व्यवसायी हैं। उन्होंने बताया कि यह कुत्ता उन्होंने खास मास्को से आयात किया। इसकी कीमत 22 लाख रुपये पड़ी। इसमें करीब साढ़े चार लाख तो उन्होंने सिर्फ ड्यूटी चुकाई है। उत्कर्ष के अनुसार यह नस्ल रूस के अत्यंत ठंडे वातावरण से है। इसलिए यहां भी इसे 24 घंटे वातानुकूलित जगह पर रखना पड़ता है। अपने कुत्तों के लिए उन्होंने अलग से एक एसी रूम बनाया हुआ है। वह कहते हैं कि कुत्ता पालने के लिए मालिक की जेब भरी होनी चाहिए। अपने इस कुत्ते के खानपान पर ही वे रोजाना करीब एक हजार रुपये खर्च करते हैं। साज-सज्जा का खर्च अलग। उत्कर्ष के पास इस श्वान के अलावा भी अलग-अलग नस्ल के 11 कुत्ते हैं।
चिहवावा और साइबेरियन हस्की भी खींचा ध्यानः श्वान प्रेमियों को यहां दुनिया के सबसे छोटी नस्ल के कुत्तों चिहवावा का भी दीदार हुआ। कुत्तों के मालिक दिल्ली निवासी बीएस राठौर रक्षा मंत्रालय में कार्यरत हैं। उन्होंने एक श्वान खास थाईलैंड से मंगाया है। इसे 1.7 लाख रुपये में खरीदा गया है। उन्होंने बताया कि पूर्ण विकसित चिहवावा चार से सात पाउंड के बीच होता है। इसकी ऊंचाई छह से आठ इंच होती है। दून निवासी श्रीकांत सामवल के साइबेरियन हस्की को भी भीड़ दिन भर घेरे रही। श्रीकांत ने इसे एक लाख रुपये में थाइलैंड से खरीदा है।