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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवारी के खून की जांच से जुड़ी डीएनए रिपोर्ट गोपनीय रखने और उनके खिलाफ दाखिल पितृत्व मामले की सुनवाई बंद कमरे में कराने का उनका अनुरोध ठुकरा दिया। डीएनए रिपोर्ट 27 जुलाई को खोली जाएगी। न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल ने नारायण दत्त तिवारी की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि गोपनीयता बरतने संबंधी उच्चतम न्यायालय का 24 मई का आदेश डीएनए जांच के लिए खून का नमूना लेने और उच्च न्यायालय को रिपोर्ट देने के मकसद से था।
न्यायमूर्ति खेत्रपाल ने कहा कि आप उच्चतम न्यायालय के आदेश का गलत मतलब नहीं निकाल सकते। डीएनए जांच के लिहाज से रक्त का नमूना लेने के उद्देश्य से यह आदेश था। उन्होंने डीएनए रिपोर्ट खोलने के लिए 27 जुलाई की तारीख तय की। 87 वर्षीय तिवारी ने अपने आवेदन में दावा किया था कि शीर्ष अदालत के आदेश में पितृत्व मामले की सुनवाई पूरी होने तक डीएनए रिपोर्ट गोपनीय रखने के लिए कहा गया था।
तिवारी ने अपने आवेदन में कहा था कि सभी संबंधित पक्षों को उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों का पालन करने के लिए कहा जाए। डीएनए रिपोर्ट पूरी तरह सीलबंद होनी चाहिए और पूरा मुकदमा होने तक या मुकदमे में उचित स्तर तक गोपनीयता बरकरार रखी जाए। तिवारी ने 29 मई को डीएनए जांच के लिए खून का नमूना अपने देहरादून स्थित आवास पर दिया था। उन्हें उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद नमूना देना पड़ा।