नई दिल्ली। विख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं आयरन लेडी के नाम से चर्चित इरोम शर्मिला को मणिपुर विधानसभा के चुनाव में अप्रत्याशित पराजय ने सभी को झकझोर दिया। उन्हें मात्र 90 वोट मिले, जबकि नोटा के खाते में भी इससे अधिक 143 वोट पड़े। चुनाव हारने के बाद इरोम रो पड़ीं और कहा, “अब कभी चुनाव नहीं लड़ूंगी।” एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार एवं एंकर रवीश कुमार ने कहा- “ इरोम शर्मिला की हार से मैं स्वयं बहुत आहत हूं। क्या पीड़ितों के लिए लड़ने वालों का अब यही हश्र होगा?”
इरोम शर्मिला ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफस्पा) हटाने की मांग को लेकर 16 वर्ष तक अनशन किया। इस दौरान वे नेजल ट्यूब के साथ अल्पाहार लेती रहीं। इस दौरान अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं भी उनके साथ खड़ी रहीं, लेकिन सरकारों ने उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया। लंबे समय तक मांग पूरी नहीं होने पर उन्होंने गत वर्ष अनशन तोड़ दिया और घोषणा की कि वे अब राजनीति में आएंगी और सदन के अंदर मजबूती से अपनी मांग उठाएंगी।
मणिपुर में विधानसभा चुनाव से पहले इरोम ने ‘पीपुल्स रिइंसर्जेंस एंड जस्टिस अलाएंस’ नाम से एक पार्टी बनाई और स्वयं मुख्यमंत्री ओकराम सिंह इबोबी के मुकाबले खड़ी हुईं। उन्होंने अपना तमाम चुनाव प्रचार साइकिल से किया, जबकि शर्मिला के अनुसार उन्हें भाजपा ने चुनाव लड़ने के लिए 36 करोड़ रुपये देने की घोषणा भी की थी, लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया। ऐसे में उनका जीतना तो चाहे काफी कठिन था, लेकिन जिस तरह लोगों ने उन्हें मात्र 90 वोट देकर नजरंदाज किया, उससे सामाजिक एवं मानवाधिकार संगठनों के कार्यकर्ताओं में चिंता महसूस की जा रही है। कहा जा रहा है कि यदि पीड़ितों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए लड़ने वालों के प्रति समाज का यही रवैया है तो फिर कल को क्यों कोई उसके लिए संघर्ष करेगा?
समाजशास्त्री नंदिनी सुंदर ने ट्वीट किया, “कम से कम 90 लोगों में कुछ नैतिकता और कुछ आशा बची थी।” कथाकार मैत्रेयी पुष्पा ने फेसबुक पर टिप्पणी की, “इरोम शर्मिला तुमने स्त्रियों की सुरक्षा के लिए सोलह साल उपवास रख कर संघर्ष किया, क्या इस राज्य में नब्बे ही औरतें थीं?”
संजीव सचदेवा ने फेसबुक पर लिखा, “ इरोम शर्मिला तेरी हार तुझे मिले हुए मात्र 90 वोट साबित करते हैं कि जनता को उसके लिए भूखे रहने वाले नेता नहीं पसंद, बल्कि हवाई जहाज से उड़ने वाले खाऊ नेता ही पसंद हैं। तेरी हार यहां के प्रजातंत्र के गिरे हुए स्तर को साबित करती है।”