नई दिल्ली। महाराष्ट्र नगर निगमों के बाद उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के अप्रत्याशित चुनाव परिणामों ने ईवीएम की विश्वसनीयता को कटघरे में खड़ा कर दिया है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। विभिन्न राजनीतिक दल आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा ने ईवीएम को ‘मैनेज’ कर ये चुनाव जीते हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि दिल्ली नगर निगम के चुनावों में ईवीएन के स्थान पर बेलेट पेपर का ही इस्तेमाल किया जाए।
सबसे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने ईवीएम मशीनों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि भाजपा ने ईवीएम को गलत तरीके से एडजस्ट कर चुनाव जीता है। उनका कहना था कि जिन क्षेत्रों में 65 प्रतिशत तक मुस्लिम आबादी है, वहां भी भाजपा के प्रत्याशी जीते हैं, जो उनके अनुसार संभव ही नहीं था। उसके बाद सपा नेता अखिलेश यादव और आम आदमी पार्टी के केजरीवाल ने भी मायावती के स्वर में स्वर मिलाना शुरू कर दिया। फिर तो सोशल मीडिया में तो ईवीएम और भाजपा के खिलाफ टिप्पणियों की बाढ़ ही आ गई है। महाराष्ट्र में नगर निगम चुनाव के एक प्रत्याशी को शून्य वोट मिले। प्रत्याशी का कहना है कि उसे कम से कम अपना वोट तो मिलना ही चाहिए था, वह भी पता नहीं कहां चला गया?
मामला उस समय और भड़क गया जब हैदराबाद के हरिप्रसाद मुरली नामक व्यक्ति ने एक टीवी चैनल पर डेमो करके बताया कि ईवीएम मशीनों को किस प्रकार चुटकियों में किस तरह एडजस्ट कर किसी एक प्रत्याशी के पक्ष में दूसरे प्रत्याशियों के वोट स्थानांतरित किए जा सकते हैं। इसके तुरंत बाद सरकार ने हरिप्रसाद मुरली को गिरफ्तार कर लिया है। महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में ईवीएम के विरोध में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें भाजपा के अतिरिक्त सभी विपक्षी पार्टियां भाग ले रही हैं। प्रदर्शकारी मांग कर रहे हैं कि इन चुनावों मे प्रयुक्त ईवीएम मशीनों की जांच कराई जाए और भविष्य में इनका प्रयोग बंद किया जाए। कुछ जगह प्रदर्शनकारियों ने ईवीएम की अर्थियां भी जलाईं।
उत्तरप्रदेश में सभी विपक्षी पार्टियों ने ईवीएम के विरोध के लिए एक नंबर जारी किया है, जिस पर लोगों को मिस कॉल करने के लिए कहा गया है ताकि उनका विरोध दर्ज हो सके। माना जा रहा है कि विपक्षी राजनीतिक दल इसे एक बड़ा जनांदोलन बनाने की तैयारी में है।