नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने लोढा समिति की सिफारिशें लागू नहीं किए जाने के मामले में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय सिर्के को बर्खास्त कर दिया है। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने सोमवार को यह फैसला सुनाते हुए अनुराग ठाकुर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें उनसे पूछा गया है कि- ‘आपके खिलाफ क्यों न अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाए’?
हमीरपुर से भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से बर्खास्तगी न केवल पार्टी के लिए बड़ा झटका है, बल्कि हिमाचल की राजनीति में भी इसका खासा प्रभाव देखने को मिल सकता है। अनुराग को इससे पहले हाल ही में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद से भी हाथ धोना पड़ा था। वे हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के पुत्र हैं।
अनुराग पर आरोप था कि उन्होंने आईसीसी से कहा था कि वह ऐसा पत्र जारी करे, जिसमें यह लिखा हो कि अगर लोढा पैनल की सिफारिशों को लागू किया जाता है तो इससे बोर्ड के काम में सरकारी दखलअंदाजी बढ़ जाएगी। हालांकि ठाकुर ने अदालत में इस आरोप से इनकार किया था।
उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी कि अध्यक्ष का काम अब बीसीसीआई का सबसे वरिष्ठ उपाध्यक्ष और सचिव का काम संयुक्त सचिव संभालेगा। इसके साथ ही बीसीसीआई के सभी पदाधिकारियों और राज्य संघों को लोढा समिति की सिफारिशों का पालन करने के लिये शपथपत्र देना होगा।
उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी निर्देश दिए हैं कि- ‘सत्तर साल से अधिक उम्र, मानसिक तौर पर असंतुलित व्यक्ति, मंत्री, सरकारी कर्मचारी, दोषी व्यक्ति और नौ साल तक पद पर रहने वाले व्यक्ति बीसीसीआई के पदाधिकारी नहीं बन सकते।’
उधर, कई पूर्व क्रिकेटरों ने अदालत के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे बीबीसीआई के कार्यों में और अधिक पारदर्शिता आ सकेगी तथा खिलाड़ियों की चयन प्रक्रिया में भी सुधार होगा।