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उत्तरकाशी। उत्तरकाशी जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था लगभग चौपट हो गई है। वहां अधिकांश राजकीय एलोपैथिक स्वास्थ्य केंद्र (एसएडी) मात्र वार्डब्वॉय के सहारे चल रहे हैं और कुछ अस्पतालों में तो ताले लटके हुए हैं। मात्र गिने चुने स्वास्थ्य केंद्रों में ही स्वास्थ्य कर्मचारी देखने को मिलते हैं। वहां भी एलोपैथिक चिकित्सकों की जगह आयुर्वेदिक चिकित्सक या फार्मासिस्ट ही हैं। लगता है कि सरकार इन दूरस्थ क्षेत्रों की जनता को उपचार के लिए पूरी तरह झाड़फूंक करने वालों, ओझाओं और झोलाछाप डाक्टरों के भरोसे ही छोड़ने पर आमादा है।
उत्तरकाशी जिले के दूर दराजी ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 21 एलोपैथिक स्वास्थ्य केंद्र (एसएडी) हैं, जिनमें से ज्यादातर वार्ड ब्वॉय के भरोसे ही चल रहे हैं। फिलहाल 21 स्वास्थ्य केंद्रों में से मात्र छह पर ही स्वास्थ्य कर्मी मौजूद हैं और वे भी या तो आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं या फिर फार्मासिस्ट। गंगनानी के एसएडी में अनुबंध पर तैनात चिकित्सक लंबे समय से गायब हैं। लिहाजा वहां ताला लटका हुआ है।
स्थानीय लोगों ने मीडिया को बताया कि पिछले कुछ वर्षों से वहां स्वास्थ्य केंद्रों में आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट ही जिम्मेदारी संभाले हुए थे, लेकिन इस साल की शुरूआत में ज्यादातर फार्मासिस्टों का आयोग में चयन हो गया, जिस कारण अब अधिकांश केंद्रों में कोई भी स्वास्थ्य कर्मी नहीं है। इस समय राजकीय एलोपैथिक स्वास्थ्य केंद्र रैथल, श्रीकालखाल, कल्याणी, दिचली, गडोली, कफनोल, राजगढ़ी, कुमोला, गुंदियाटगांव, टिकोची, लिवाड़ी में इस समय पूरी तरह सन्नाटा छाया हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि वे लंबे समय से सरकार और स्वास्थ्य विभाग से स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर और अन्य सुविधाओं की मांग कर रहे हैं, लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही।
सीएमओ उत्तरकाशी, डॉ. मयंक उपाध्याय से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि, ”एसएडी में डॉक्टरों और फार्मासिस्टों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। आयोग की ओर से भी कुछ डॉक्टर जिले को मिलने वाले हैं। दो नए संविदा डॉक्टरों की भी नियुक्ति की गई है। जल्द ही हालात को दुरूस्त करने की कोशिश की जा रही है।’