नई टिहरी। ऐसे में सरकार की कार्य प्रणाली और निष्पक्ष चुनाव के प्रति आम जनता में संदेह होना स्वाभाविक है। उत्तराखंड के
वर्ष 2011 की जनगणना में रजिस्ट्रीकरण कार्यालय ने नौ विकासखंडों की जनसंख्या 5,48,792 बताई है, जबकि पंचास्थानी के मुताबिक मतदाताओं की संख्या 5,52,114 है। कुल जनसंख्या में 0 से 6 वर्ष के बच्चे भी शामिल हैं। इन आंकड़ों को देखकर लोग हैरान हैं, लेकिन उनकी आशंकाओं को दूर करने के लिए भी कोई प्रयास नहीं किया जा रहा।
मतदाता सूची में 18 वर्ष की आयु के लोगों का नाम दर्ज किया जाता है, जबकि जनसंख्या में दुधमुंहें बच्चे की गणना भी की जाती है। इसलिए जनसंख्या से ज्यादा मतदाताओं की संख्या किसी भी सूरत में संभव नहीं है। लेकिन चुनावी खेल कुछ भी करा सकता है।
आंकड़े बता रहे हैं, कि उक्त ग्रामीण क्षेत्रों की कुल जनसंख्या 5,48,792 है, जिसमें 2,59,381 पुरुष और 2,89,411 महिलाएं हैं। लेकिन वहां मतदाताओं की संख्या 5,52,114 है। विभागीय अधिकारी इस अंतर के बावत जो तर्क दे रहे हैं, वह किसी के भी गले नहीं उतर रहा। नई टिहरी के निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी प्रवेशचंद्र डंडरियाल इस संबंध में कहते हैं कि जनगणना 2011 की है, जबकि मतदाताओं के नाम जनवरी 2013 तक चढ़ाए गए हैं, इसलिए मतदाताओं की संख्या ज्यादा हुई है। लेकिन प्रशासन के इस तर्क को मानने के लिए कोई भी तैयार नहीं है। लोगों का कहना है कि यह करिश्मा मात्र चुनावी खेल ही कर सकता है और ऐसे में वहां निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद नहीं की जा सकती।
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