शिमला। साहित्य समाज का दर्पण होने के साथ-साथ पथ प्रदर्शक भी है। समाज अगर शरीर है तो साहित्य उसकी आत्मा है। मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने यह बात शनिवार को यहां बचत भवन में शिखर संस्था द्वारा आयोजित साहित्य समारोह को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि शिखर संस्था ने हिमाचल प्रदेश में साहित्य सृजन का माहौल तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रदेश सरकार भी राज्य में साहित्य, कला एवं संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन व उत्थान के लिए भरसक प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल का नैसर्गिक सौन्दर्य और यहां का शान्त वातावरण हमेशा से लेखकों व कलाकारों को आकर्षित करता रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह प्रयास है कि शिमला को देश की सांस्कृतिक राजधानी होने का रुतवा दिलाया जाए।
प्रो. धूमल ने कहा कि साहित्य, कला व संस्कृति को समर्पित शिखर जैसी संस्थाएं जब धरातल पर काम करती हैं तो सृजन भी होता है और सृजन कर्मियों का सम्मान भी होता है। उन्होंने कहा कि कोई भी रचना तभी दिल को छूती है जब उसमें भोगा हुआ यथार्थ व्यक्त होता है।
मुख्यमंत्री ने शिखर संस्था द्वारा शुरू किया गया दूसरा युवा शिखर सम्मान शिलांग से आए युवा कवि व आलोचक भरत प्रसाद को प्रदान किया। उन्हें पुरस्कार के रूप में 5100 रुपये की राशि, श्रीफल, शॉल व स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेश की प्रसिद्ध कवियत्री रेखा के काव्य संग्रह ‘विरासत जैसा कुछ’ का विमोचन भी किया। इस काव्य संग्रह में 60 कविताएं हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार प्रदीप पण्डित ने कहा कि किसी भी विषय पर लिखने से पहले लेखक को उस विषय का न केवल गहराई से चिन्तन करना चाहिए बल्कि उन परिस्थितियों को भी समझने की कोशिश करनी चाहिए जो उस विषय के केन्द्र में हैं। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में जाए बिना इस समस्या को नहीं समझा जा सकता।
शिखर संस्था के अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार केशव नारायण ने अपने संबोधन में कहा कि 1983 में अपने गठन के बाद से संस्था ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साहित्य सम्मेलनों व गोष्ठियों के माध्यम से संस्था ने प्रदेश के लेखकों को एक मंच प्रदान किया है। संस्था द्वारा प्रकाशित की जा रही शिखर पत्रिका के अंकों की चर्चा देश भर में हुई है।
शिखर संस्था के महासचिव राजेन्द्र राजन ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन देवकन्या ठाकुर ने किया।
इस समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार अग्निशेखर, मदन कश्यप, भारत भारद्वाज, प्रेम भारद्वाज, बलराम, एसआर हरनोट, रेखा, तेजराम शर्मा, देवेन्द्र गुप्ता, जयवन्ती, डिमरी, सरोज परमार, सुरेश सेन निशांत, अजेय, प्रदीप सैनी, गुरमीत बेदी, बद्री सिंह भाटिया, आरएस नेगी, प्रदीप कंवर, यादविन्द्र चौहान, रणजीत सिंह राणा, दयाराम शर्मा, रमेश शर्मा, राजीव त्रिगर्ती, रोशन लाल पराशर, लीना मल्होत्रा, मंजुमन, हेमराज व आत्मा रंजन सहित अनेक साहित्यकार उपस्थित थे।