पिथौरागढ़। उनकी दिली इच्छा थी कि गांव में एक पुस्तकालय खोला जाए ताकि क्षेत्र के बच्चे, युवा, महिलाएं भी ज्ञान की लौ से जुड़ सकें। भले ही संसाधन नहीं थे, लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति थी तो कोई ना कोई राह तो निकलनी ही थी।
पिथौरागढ़ जिले में सौन पट्टी क्षेत्र के अड़किनी गांव निवासी सुनील कोहली (25) का यह सपना कैसे पूरा हुआ, इसकी एक दिलचस्प कहानी है। सुनील ने कुछ वर्ष पूर्व नेहरू युवा केंद्र और खेल मंत्रालय भारत सरकार की ओर से आयोजित इंटर्नशिप कार्यक्रम में हिस्सा लेकर 30 हजार रुपये का इनाम जीता था। ईनाम की इस राशि से ही उन्होंने पुस्तकालय का सपना पूरा करने की सोची। हाथ में राशि बहुत थोड़ी थी और सपना बड़ा। इस रकम से ही ज्यादा से ज्यादा किताबें जुटाने के लिए उन्होंने कबाड़ घरों की खाक छानी तो राह निकल आई। उन्होंने कबाड़ियों से मोल भाव कर 20 रुपये किलो की दर से ढेर सारी किताबें खरीदीं और उन्हें गांव के जर्जर हो चुके सामुदायिक भवन में तरतीब से रखा। इससे पहले सामुदायिक भवन की छत व दीवारों की जरूरी मुरम्मत भी की गई ताकि वर्षा का जल अंदर न आए।
बस फिर क्या था आसपास के गांवों में पुस्तकालय खुलने की सूचना दे दी गई। और अधिक पुस्तकों के लिए उन्होंने साहित्यकारों से भी संपर्क किया। उन्होंने भी उन्हें पुस्तकें उपलब्ध करानी शुरू कर दीं। साहित्यकार डॉ. पीतांबर अवस्थी ने पुस्तकालय के लिए 50 किताबें उपलब्ध कराईं। इसके बाद महेश पुनेठा सहित कई अन्य लोगों ने भी अपनी कोशिशों से किताबें दिलवाईं।
सुशील बताते हैं कि इस समय क्षेत्र के 15 से अधिक गांवों के बच्चे और युवक यहां आकर पुस्तकालय का लाभ उठा रहे हैं। अब तो पुस्तकालय से बच्चों को स्कूली सिलेबस की किताबें भी इस शर्त पर उपलब्ध कराई जा रही है कि कोर्स पूरा होने पर वे उन्हें सही हालत में लौटाएंगे। बच्चों को इससे बहुत लाभ हो रहा है।
गांव के युवा सुनील की इस सराहनीय पहल की आज दूर- दूर तक चर्चा है। पिथौरागढ़ के डीएम डॉ. आशीष चौहान ने भी एक बातचीत में सुनील कोहली के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस पुस्तकालय के लिए प्रशासन की ओर से वे हर संभव सहायता दिलाने की कोशिश करेंगे।