Advertising

भाषा-संस्कृति विभागः संस्कार नाम की कोई चीज नहीं

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में हाल ही में मुझे NSD द्वारा आयोजित 20 दिवसीय थियेटर कार्यशाला में कैंप डायरेक्टर के रूप में काम करने का मौका मिला। साथ में NSD के तीन फैकल्टी मैंबर भी थे। हमारे ठहरने की व्यवस्था के लिए राज्य भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग से आग्रह किया गया था, लेकिन इस दौरान विभागीय अधिकारियों ने हमारे साथ जो कटु व्यवहार किया, मैं दंग रह गई।

Advertisement

सरकार ने करोड़ों रुपये के बजट से जिस विभाग को प्रदेश की भाषा, कला एवं संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए खोला है, उसमें नौकरशाही का इस कदर बोलबाला हो गया है कि अधिकारी आम जनता से सीधे मुंह बात तक नहीं करते।

बिलासपुर के लेखक गृह में मात्र दो कमरे हैं। जिला भाषा अधिकारी (DLO) ने इनमें से एक कमरा हमें दे दिया। मैंने DLO मैडम से आग्रह किया दूसरा कमरा भी हमें दे दिया जाए ताकि हम सुविधापूर्वक वहां रह सकें। लेकिन मैडम ने साफ इनकार कर दिया और बोलीं, “यह वीआईपी रूम है, जो निदेशक के लिए परमानेंट बुक रहता है।” इस पर मैंने निदेशालय शिमला में फोन पर पीए से बात की और निदेशक महोदया से बात कराने के लिए कहा। पीए ने कहा कि वे इस समय किसी कार्य से दिल्ली में हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि- “आपकी कार्यशाला के दौरान निदेशक का बिलासपुर आने का कोई कार्यक्रम नहीं है। इसलिए आपको कमरा देने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।”

मैंने यह बात DLO मैडम को बताई, लेकिन उन्होंने कमरा देने से इनकार कर दिया और कहा कि यदि निदेशक उन्हें कहेंगी तो ही वे कमरा आपको दे सकती हैं। इस पर मैंने स्वयं निदेशक महोदया से मोबाइल फोन पर बात की और लेखक गृह का एक कमरा देने का आग्रह किया। उन्होंने भी वही जवाब दिया कि उनका इस दौरान बिलासपुर आने का कोई कार्यक्रम नहीं है। आपको कमरा अलाट किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वे इसके लिए अपने पीए को निर्देश दे देंगी। मैंने इसके लिए उनका आभार व्यक्त किया। लेकिन हमें कमरा नहीं मिल सका।

हमने एक कमरे में किसी तरह रात काटी। अगले दिन मैंने निदेशक के पीए को फिर फोन किया और पूछा तो उनका कहना था कि उन्हें अभी तक निदेशक से कोई निर्देश नहीं मिला है। इसी तरह जैसे तैसे दो दिन और बीत गए। विभाग की ओर से हमें कोई जवाब नहीं मिला।

मैंने एक बार फिर से निदेशक से उनके मोबाइल फोन पर बात की और इसी दौरान एकाएक महसूस हुआ कि विभाग में हमारे खिलाफ ‘पॉवर गेम’ शुरू हो चुकी है। निदेशक महोदया ने जवाब दिया, “मैं ऐसे आम लोगों से बात नहीं करती। रेस्ट हाउस का कमरा साधारण लोगों के लिए नहीं है।” मुझे हैरानी हुई। मैंने उनसे कहा कि यह विश्रामगृह नहीं, बल्कि लेखक गृह है, जो लेखकों, कलाकारों और संस्कृति कर्मियों की सुविधा के लिए बनाया गया है। मेरे यह कहने पर निदेशक ने फोन काट दिया।

मुझे विभाग के इस व्यवहार से बहुत दुख हुआ। मैं एक साधारण व्यक्ति हूं तो क्या मुझसे कोई बात भी नहीं करेगा? भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के इन अधिकारियों में मुझे संस्कार नाम की कोई चीज नजर नहीं आई।

काफी जद्दोजहद के बाद जिला भाषा अधिकारी ने हमें वह कमरा अलॉट कर दिया, लेकिन मात्र पांच दिनों के लिए। एक दिन DLO मैडम से सामना होने पर मैंने उन्हें नमस्ते किया तो उन्होंने गुस्से में दूसरी ओर मुंह फेर लिया और चली गईं। उन्होंने वर्कशॉप में एक दिन के लिए भी आना उचित नहीं समझा। वे बच्चों को शो से पहले शुभकामनाएं तक देने नहीं आयीं। शो के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। हां, जिस दिन कार्यशाला में कोई वीआईपी आता तो वे जरूर उनके साथ फोटो खिंचवाने प्रकट हो जातीं।

जिला भाषा विभाग का समूचा स्टाफ दोपहर में हमारे साथ खाना खाता था, जबकि DLO मैडम के लिए खाना प्लेट में उनके दफ्तर के कमरे में प्यून लेकर जाता था। वो तो हमारे साथ खाना तक खाना अपना अपमान समझती थीं।

मैंने पूर्व में अनेक सुसंस्कृत एवं मृदुभाषी निदेशकों और भाषा अधिकारियों के साथ काम किया है, लेकिन यहां का तो तमाशा ही अलग है। मैं समझती हूं कि हमारी बोलचाल और कार्यशैली ही हमारी संस्कृति का आइना है। क्या उच्च पदों पर बैठे लोगों को आम जनता के साथ व्यवहार में अपनी संस्कृति का ध्यान नहीं रखना चाहिए?। हिमाचल में भाषा एवं संस्कृति विभाग को भगवान बचाए।

ऐसा भी नहीं है कि सभी अधिकारी एक से हैं। मैं वहां बिलासपुर के उपायुक्त विवेक भाटिया जी से भी मिली, उनका व्यवहार बहुत ही मधुर एवं सहयोगात्मक था। वे हमारी कार्यशाला में चल रही रिहर्सल देखने भी आए और कलाकारों को प्रोत्साहित करते हुए हर संभव सहायता करने का आश्वासन दिया। बाद में उन्होंने ही सर्किट हाउस में हमारे ठहरने का पुख्ता इंतजाम किया।

अमला रॉय

Amala Rai is a prominent stage artist. She is from Shimla, living in Maharashtra.

Recent Posts

पं नेहरू के प्रति मेरे मन में पूरा सम्मानः शांता कुमार

धर्मशाला। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा है कि पालमपुर नगर… Read More

6 months ago

मणिकर्ण में आग लगने से दो मंजिला मकान जलकर राख

कुल्लू। जिला कुल्लू के मणिकर्ण घाटी के गांव सरानाहुली में बुधवार रात को दो मंजिला… Read More

6 months ago

फासीवाद बनाम प्रगतिशील

फासीवाद और प्रगतिशील दोनों विपरीत विचारधाराएं हैं। एक घोर संकीर्णवादी है तो दूसरी समाज में… Read More

6 months ago

वाईब्रेंट विलेज नमग्या पहुंचे राज्यपाल, स्थानीय संस्कृति एवं आतिथ्य की सराहना की

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत किन्नौर जिला के सीमावर्ती… Read More

8 months ago

दुग्ध उत्पादकों के लिए जुमलेबाज ही साबित हुई सुक्खू सरकार

रामपुर। कांग्रेस ने चुनाव के दौरान 80 व 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से… Read More

11 months ago

खुलासाः मानव भारती विवि ने ही बनाई थीं हजारों फर्जी डिग्रियां

शिमला। मानव भारती निजी विश्वविद्यालय के नाम से जारी हुई फर्जी डिग्रियों में इसी विवि… Read More

11 months ago
Advertisement