सरकार ने एंटी हेलनेट के लिए 80 प्रतिशत सब्सिडी की घोषणा तो कर रखी है, लेकिन वास्तव में यह बागवानों को समय पर नहीं मिल रही। बागवानों की वर्षों से एंटीहेल नेट की करोड़ों रुपये की सब्सिडी सरकार पर बकाया है।
शिमला। प्रदेश में सेब सीजन शुरू होने से ठीक पहले मौसम ने बागवानों पर कुठाराघात कर डाला। अप्रत्याशित ओलावृष्टि और तूफान से बागवानी को 200 करोड़ से अधिक का नुकसान हो गया। आमतौर पर राज्य में मई माह बीतने तक ओलावृष्टि और तूफान का खतरा समाप्त हो जाता था, लेकिन इस बार जून माह में भी मौसम की बेरुखी अपना कहर जारी रखे हुए है।
बागवानी विभाग ने इस वर्ष 31 मई तक ओलावृष्टि और तूफान के कारण बागवानी को 200.09 करोड़ रुपये के नुकसान की रिपोर्ट सरकार को भेजी है और अब जून माह में हुए नुकसान का जायजा लिया जा रहा है। बागीचों को ओलावृष्टि से बचाने के लिए सरकार से भी कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। सरकार ने एंटी हेलनेट के लिए 80 प्रतिशत सब्सिडी की घोषणा तो कर रखी है, लेकिन वास्तव में यह बागवानों को समय पर नहीं मिल रही। बागवानों की वर्षों से एंटीहेल नेट की करोड़ों रुपये की सब्सिडी सरकार पर बकाया है।
प्रदेश की 4000 करोड़ की फल आर्थिकी में 3000 करोड़ से अधिक अकेले सेब का हिस्सा रहता है। इस बार भी मौसम की बेरुखी का सबसे अधिक कहर सेब आर्थिकी पर ही पड़ा है। बागवानी निदेशालय तक पहुंची रिपोर्ट के के मुताबिक सबसे अधिक नुकसान शिमला जिले के बागवानों को हुआ है। उसके बाद कुल्लू और मंडी जिले हैं।
बागवानी विभाग के उपिनदेशक (योजना) बीएस गुलेरिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताते हैं कि ओलावृष्टि और तूफान से प्रदेश में 35,126 हेक्टेयर क्षेत्र में फलों को नुकसान हुआ है, जिससे 53,859 किसान प्रभावित हुए हैं। जून माह में हुई ओलावृष्टि और तूफान से नुकसान का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। इस माह हुए नुकसान की भी फील्ड से रिपोर्ट मांगी गई है।
एंटी हेलनेट की करोड़ों की सब्सिडी बकायाः प्रदेश में सरकार ने एंटी हेलनेट खरीदने पर 80 प्रतिशत सब्सिडी की घोषणा तो कर रखी है, लेकिन वास्तव में इसे बागवानों को समय पर नहीं दिया जा रहा है। बागवानों को पहले पूरी कीमत में एंटी हेलनेट खरीदने होते हैं, जिस पर सरकार बाद में 80 प्रतिशत सब्सिडी देती है। लेकिन बागवानों को पिछले कई वर्षों से सब्सिडी नहीं मिल रही है। अकेले आनी और निरमंड के 326 बागवानों की करीब 3 करोड़ रुपये की सब्सिडी अटकी हुई है। पूरे प्रदेश की स्थिति का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है।
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