मणिपुर से लेकर शिमला तक और ब्रसल्स से लेकर पठानकोट तक मची सियासी बैठकों के दौर के बीच एक ऐसी भी बैठक हुई है जिसकी चर्चा लाज़मी है। ये बैठक हुई है गंगा- जमुना की तहजीब के मजबूत स्तम्भ रहे शहर लखनऊ में। संघ प्रमुख मोहन भगवत एक कार्यक्रम के सिलसिले में लखनऊ पहुंचे थे। इसी बीच अप्रत्याशित रूप से अखिल भारतीय महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्षा शइस्ता अम्बर उनसे मिलने पहुंच गयीं। बहुतेरों को लगा कि अब मसाला मिलेगा। धर्म के तथाकथित ठेकेदारों और धर्म के नाम पर सियासत करने वालों को लगा कि अब कुछ न कुछ ऐसा जरुर होगा जिसे वो विवाद के रूप में बढ़ाकर फिर से साम्प्रदायिकता की रोटी सेंक सकेंगे। उन्हें शइस्ता को मुलाकात का समय मिलने की उम्मीद नहीं थी। लेकिन न सिर्फ शइस्ता को समय मिला, बल्कि दोनों के बीच लम्बे समय तक बातचीत हुई। बाहर आकर घात लगाये मीडिया से शइस्ता ने बातें कीं और बताया कि उन्होंने संघ प्रमुख को मस्जिद आने का न्यौता दिया है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख का भाषण सुना, जिसमें कहीं भी मुस्लिम या किसी अन्य साम्प्रदाय के विरोध में कोई लफ्ज़ नहीं कहा गया है। उन्होंने उत्साहित होकर मीडिया को सूचना दी की संघ प्रमुख अगले लखनऊ दौरे के दौरान उनके संगठन के तहत चल रही मस्जिद और सम्बंधित परिसरों का दौरा करके वहां हो रहे समाज सेवा के प्रकल्पों को भी देखेंगे।
वास्तव में ही यह बड़ी बात है। आम तौर पर यही धारणा रहती है कि संघ को तो मुस्लिमों से एलर्जी है। बहुत कम लोग ये जानते हैं कि संघ की एक मुस्लिम वाहिनी भी है। मोहन भागवत से मुलाकात के बाद शइस्ता ने भी यही कहा कि संघ के बारे में बहुत कुछ सुनी सुनाई पर आधारित है। अधिकांश बातों के बारे में भ्रम ज्यादा फैलाया गया है। सबसे बड़ी बात जो शइस्ता ने की है वो ये कि अगर संघ भारत माता की जय बोलने का समर्थन करता है (हालाँकि भागवत अब इसे किसी पर नहीं थोपने को कह चुके हैं) तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि मुहम्मद भी तो यही कहते हैं कि मादरे वतन से प्यार करो। ऐसे में बिना बात बतंगड़ बनाने का कोई मतलब नहीं है। अब इस लिहाज़ से अगर इस बैठक पर नज़र डाली जाए तो ये देश के माहौल को सुधारने की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है। सौहार्द की पहली सीढ़ी बातचीत है और दूसरी उस बातचीत को मेलजोल में बदलना। ऐसे में अगर संघ प्रमुख शइस्ता के बुलावे पर मस्जिद में जाते हैं (हालाँकि ऐसा पहली बार नहीं होगा) तो ये तथाकथित सेक्युलरों पर बड़ा आघात होगा, लेकिन देश में शांति और सौहार्द बनाये रखने की दिशा में इसके बड़े सकारात्मक नतीजे हासिल होंगे। आखिर यही तो है सच्ची सहिष्णुता और देशप्रेम।
धर्मशाला। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा है कि पालमपुर नगर… Read More
कुल्लू। जिला कुल्लू के मणिकर्ण घाटी के गांव सरानाहुली में बुधवार रात को दो मंजिला… Read More
फासीवाद और प्रगतिशील दोनों विपरीत विचारधाराएं हैं। एक घोर संकीर्णवादी है तो दूसरी समाज में… Read More
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत किन्नौर जिला के सीमावर्ती… Read More
रामपुर। कांग्रेस ने चुनाव के दौरान 80 व 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से… Read More
शिमला। मानव भारती निजी विश्वविद्यालय के नाम से जारी हुई फर्जी डिग्रियों में इसी विवि… Read More