मामले को एक जनहित याचिका के जरिये कोर्ट तक पहुंचाने का काम गैर सरकारी संस्था ‘उदय फाऊंदेशन’ ने किया है। इसके संस्थापक राहुल वर्मा कोर्ट के निर्देश के बाद बेहद खुश दिखे। राहुल वर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा, ”जब मैं स्कूलों में निरीक्षण करने गया तो दंग रह गया। छोटे-छोटे बच्चे एसिडिटी की वे दवाइयां खाते मिले जो आमतौर पर 40-50 की उम्र के लोग खाते हैं। बर्गर, कोल्ड ड्रिंक्स और स्नैक्स के अलावा ज्यादातर को अब कुछ भी पसंद ही नहीं आ रहा।”
राहुल ने बताया कि उनके आग्रह पर बहुत से स्कूलों ने जंक फूड से दूरी बना ली है, लेकिन कई स्कूल ऐसे भी हैं जिनके यहां वार्षिक समारोहों को बड़ी-बड़ी सॉफ्ट ड्रिंक कंपनियां प्रायोजित करती हैं।
मामले की सुनवाई के दौरान जज एके सीकरी और सिद्धार्थ मृदुल की पीठ ने भी जंक फूड से सेहत को खतरा बताया। उनका कहना था, ”हम सिर्फ बातें नहीं चाहते हैं। हम चाहते हैं कि सरकार शिक्षा संस्थानों के नजदीक जंक फूड की बिक्री और सप्लाई पर पूरी तरह प्रतिबंध सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए।
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