मंडी। नगर परिषद मंडी की विख्यात इंदिरा मार्केट की दुकानों के आवंटन में चल रहे करोड़ों के घालमेल की जांच अब
इंदिरा मार्केट में कुल 234 दुकानें हैं। पुनर्वास एवं एकमुश्त योजना के तहत आवंटित एक-एक दुकान का मासिक किराया 400 रुपये है। खुली नीलामी से अलाट दुकान का अधिकतम किराया 3200 रुपये है। लेकिन यहां कुछ लोगों ने आवंटित दुकानें आगे लाखों रुपये लेकर बेच दीं तो कुछ ने मोटे मासिक किराये पर सबलेट कर रखी हैं। कुछ दुकानदारों ने नगर परिषद की अनुमति के बिना दुकानों के आकार से भी मनमाने ढंग से छेड़छाड़ कर रखी है। कायदे से बिना अनुमति दुकानों के स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। लेकिन इस मामले में नगर परिषद के अधिकारियों ने चुप्पी ही साधे रखी, जिससे परिषद को अब तक करोड़ों रुपये के राजस्व का चूना लग चुका है।
मजेदार बात यह है कि नगर परिषद ने 2004 के बाद दुकानों के करार का नवीनीकरण करना भी उचित नहीं समझा, जबकि हर पांच साल बाद नवीनीकरण होना चाहिए था। इस लापरवाही से लाखों रुपये के नवीनीकरण शुल्क से भी परिषद को हाथ धोना पड़ा। दुकानों का किराया भी हर साल मार्केट के हिसाब से पांच से दस फीसद बढ़ना था, मगर नगर परिषद की लापरवाही से यह भी संभव नहीं हो पाया।
नगर परिषद मंडी के कार्यकारी अधिकारी अजय पराशर ने बताया कि इंदिरा मार्केट की सभी 234 दुकानों के आवंटन की फाइलें विजिलेंस को सौंप दी गई है। विजिलेंस के पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी ने बताया कि दुकानों के आवंटन का सारा रिकार्ड खंगालने का काम शुरू कर दिया गया है।
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